स्वतंत्रता दिवस पर निबंध

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध- 15 अगस्त भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। इस दिन भारत ने अंग्रेजों की 200 साल की गुलामी से आजादी प्राप्त की थी। स्वतंत्रता दिवस भारत के लिए एक राष्ट्रीय अवकाश है और इसे पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। स्वतंत्रता दिवस के दिन, देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं। इस दिन, स्कूलों, कॉलेजों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

स्वतंत्रता दिवस भारत के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन हमें अपने देश के इतिहास और संस्कृति को याद दिलाता है। यह हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें अपने देश की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। इसीलिए दोस्तों स्वतंत्रता दिवस पर निबंध आज हम लिखने वाले है तो इस पोस्ट में आप अंत तक बने रहिएगा।

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध 1000 शब्दों में

प्रस्तावना-

जब भी किसी देश पर किसी बाहरी देश की सत्ता स्थापित होती है तो उस देश के निवासियों को अपमान, अत्याचार और शोषण का शिकार होना पड़ता है। 15 अगस्त, 1947 ई० से पूर्व हमारा देश भी ब्रिटिश शासन के अधीन था। ब्रिटिश शासन के अधीन हम भी इस लज्जाजनक विवशता से पीड़ित थे। ब्रिटिश शासकों के अत्याचार और शोषण के विरुद्ध हमारा राष्ट्र बहुत पहले से ही संघर्षरत था, किन्तु इस संघर्ष का फल प्राप्त हुआ 15 अगस्त, 1947 ई० को, जब हमारा देश स्वतन्त्र हो गया। स्वतन्त्रता-प्राप्ति के इसी दिन को हम ‘स्वतन्त्रता दिवस’ के नाम से सम्बोधित करते हैं और प्रतिवर्ष हर्षोल्लास के साथ इस राष्ट्रीय पर्व को मनाते हैं।

स्वतन्त्रता दिवस का महत्त्व

किसी भी बाह्य शक्ति के अधीन रहकर कोई भी जीव पीड़ा का ही अनुभव करता है। ब्रिटिश शासन की शक्ति ने तो हमारे सम्पूर्ण समाज और राष्ट्र को ही अपने अमानुषिक नियन्त्रण में ले रखा था। स्वतन्त्रता दिवस के दिन ही हमने इस अत्याचारी विदेशी शक्ति की परतन्त्रता से मुक्ति प्राप्त की थी, इसलिए यह दिन हमारे लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। इस दिन ही ब्रिटिश शासन के प्रतीक ‘यूनियन जैक’ का भारत में पतन हो गया और उसका स्थान हमारे राष्ट्रध्वज ‘तिरंगे’ ने ले लिया। इसके साथ ही हम एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में आत्मसम्मान और प्रतिष्ठा को प्राप्त करके विश्व-समाज में अपना मस्तक ऊँचा कर सके।

स्वतन्त्रता दिवस मनाने की रीति

15 अगस्त, 1947 ई० को  हमारी परतन्त्रता की बेड़ियाँ खुल गई। 14 अगस्त, 1947 ई० की रात में 12 बजकर 1 मिनट पर अंग्रेजों ने भारतीय कर्णधारों को सत्ता सौंप दी। 15 अगस्त का सवेरा भारतवासियों के लिए एक नई उमंग लेकर आया। प्रातःकाल से ही प्रभात फेरियाँ प्रारम्भ हो गई। दिल्ली के लाल किले पर ध्वजारोहण हुआ, जिसे देखने के लिए वहाँ भारी भीड़ उमड़ पड़ी। सेना ने ‘राष्ट्रध्वज’ को सलामी दी। सम्पूर्ण भारत मे राष्ट्रध्वज को सम्मानपूर्वक फहराकर उसे सलामी दी गई। तभी से प्रतिवर्ष इप्स दिन हम स्वतन्त्रता-प्राप्ति की वर्षगाँठ मनाते हैं और राष्ट्रध्वज के प्रति अपना सम्मान प्रकट करते हैं।

इस दिन दिल्ली में लाल किले पर ध्वजारोहण किया जाता है। भारत के सभी राज्यों में भी ध्वजारोहण करके उसे सम्मान प्रदान किया जाता है। सरकारी कार्यालयो, विद्यालयो एवं विभिन्न संस्थाओं में भी इस दिन ध्वजारोहण किया जाता है और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमो का आयोजन किया जाता है।

स्वतन्त्रता का स्वर्ण जयन्ती वर्ष-

15 अगस्त, 1947 ई० को जिस राजनैतिक स्वतन्त्रता को प्राप्त करने में हम सफल हुए थे, 15 अगस्त, 1997 ई० को उस राजनैतिक स्वतन्त्रता को प्राप्त किए 50 वर्ष पूर्ण हो गए। 15 अगस्त, 1947 ई० मे प्राप्त की गई स्वतन्त्रता पर हर्षोल्लास व्यक्त करने और 50 वर्षों तक अपनी स्वतन्त्रता को निरन्तर बनाए रखने के उपलक्ष्य में, वर्ष 1997 को ‘स्वर्ण जयन्ती वर्ष’ घोषित किया गया। इस वर्ष के प्रारम्भ से ही स्वतन्त्रता के स्वर्ण जयन्ती समारोह मनाने को तैयारियों को गई। 15 अगस्त, 1997 ई० को स्वतन्त्रता का स्वर्ण जयन्ती समारोह मनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय, प्रान्तीय एवं क्षेत्रीय स्तरों पर योजना समितियों तथा क्रियान्वयन समितियों का गठन किया गया। इस प्रकार वर्ष 1997 में स्वतन्त्रता का स्वर्ण जयन्ती समारोह विशेष धूमधाम और अत्यधिक हर्षोल्लास से मनाया गया।

स्वतन्त्रता दिवस हमारे लिए परम हर्ष और स्वयं को गौरवान्वित अनुभव करने का दिन होता है, परन्तु इसकी सार्थकता तभी है, जब हम आजादी के महत्त्व को समझे तथा सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक समानता पर आधारित समाज की संरचना के स्वप्न को साकार करने का संकल्प ले। अपने देश की एकता, अखण्डता और अपने अस्तित्व को बनाए रखने तथा भारत को प्रगतिशील बनाने की दृष्टि से यह एक ऐसा महान् अवसर है, जब हमे निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर स्वय मे राष्ट्रीय भावना को जाग्रत करना चाहिए तथा अपने राष्ट्र की समृद्धि, प्रगति एवं खुशहाली हेतु समर्पित भाव से जुट जाना चाहिए।

उपसंहार-

हमने अत्यन्त कठिन संघर्ष एवं अथाह पीड़ा झेलने के बाद स्वतन्त्रता प्राप्त की है। निःसन्देह इस दिन अपनी प्रसन्नता को सोल्लास व्यक्त करने का हमे अधिकार है, किन्तु क्या हमने ब्रिटिश शासन से स्वतन्त्रता प्राप्त करके स्वतन्त्रता के वास्तविक लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है? वस्तुतः ऐसा नहीं है। आज भी हम ईर्ष्या, द्वेष, साम्प्रदायिक भावनाओं, क्षेत्रीयता, जातीयता तथा रूढ़ियों आदि के बन्धन में जकड़े हुए हैं। समाज में प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार था प्रगति हेतु आवश्यक सामान अवसर भी प्राप्त नहीं है। हमारा प्रजातान्त्रिक आदर्श एक दिखावा और पाखंड बनकर ररह गया है। जब की हम इन सब बुराईयो से मुक्ति प्राप्त नहीं करते, हमारी राष्ट्रीय स्वतंत्रता निर्थक बनी रहेगी। हम अवश्य ब्रिटिश शासन से उक्त होने की खुशिया मनाये, किन्तु यह न भूले की हमारा कर्तव्य अब मात्रा झंडा फहराना और राष्ट्रीय गीत गाना ही नहीं रह गया है। हमे अभी अनेक बंधनो से स्वतंत्र होना है और इसके लिए हमे एक लम्बा संघर्ष करना है।

15 अगस्त पर निबंध 100 शब्दों में

स्वतंत्रता दिवस हर वर्ष 15 अगस्त को मनाया जाता है। 15 अगस्त 1947 को भारत देश अग्रेजो की 200 साल की गुलामी के बाद आजाद हुआ था। भारत की स्वतंत्रता के बाद भारत को भारत और पकिस्तान दो राष्ट्र में बांटा गया। 15 अगस्त के अवसर पर देश को आजादी दिलाने वाले शहीदों को याद किया जाता है। इस दिन भारत के प्रधान मानती लाल किले पर तिरंगा झंडा फहराते है। इस दिन भारत में पूर्ण अवकाश होता है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर थल सेना, जल सेना और वायु सेना द्वारा परेड निकाली जाती है। स्वतंत्रता दिवस पर स्कूलों, कॉलेजों और अन्य संसथान में झंडारोहण और समारोह आयोजित किया जाता है। इस दिन सभी देशभक्ति के रंग में रेंज दिखाई देते है।

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