Diwali Essay In Hindi | दिवाली पर एक शानदार निबंध

Diwali Essay In Hindi- दिवाली, जिसे हम दीपावली के नाम से भी जानते हैं, एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो भारत में हर साल मनाया जाता है। यह त्योहार रोशनी, आनंद, और खुशियों का त्यौहार है और भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक इवेंट है। इस लेख में, हम Diwali Essay In Hindi के बारे निबंध पढ़ेंगे और दिवाली के त्योहार के महत्व, इतिहास, और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करेंगे।

दिवाली का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसे हिन्दू परंपरा के अनुसार भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में मनाया जाता है। भगवान श्रीराम ने लंका के राक्षस राजा रावण को मारकर अयोध्या को विजयी वापस लिया था, और इसके अवसर पर लोगों ने उनका स्वागत दीपों की रोशनी से किया था। इसलिए दिवाली को विजयदशमी के रूप में भी मनाया जाता है।

Diwali Essay In Hindi

Diwali Essay In Hindi
Credit- Freepic

प्रस्तावना-

दिवाली या दीपावली हिनड़ो का सबसे लोकप्रिय त्यौहार है जिसे बहुत ही उत्साह और ख़ुशी के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार सभी के लिए ढेर सारी खुशियाl लेकर आता है। लोग अपने परिवार, दोस्तों और अपने प्रियजनों को बधाई और उपहार देते है। दिवाली के दिन शाम को दिए, मोमबत्ती, तरह तरह की लाइट को जलाकर प्रकाश किया जाता है। बच्चे इस दिन शाम को पटाखे फोड़ते है इसके साथ शाम को लक्ष्मी माता की पूजा भी होती है। इस वर्ष 12 नवंबर 2023 को दिवाली का त्यौहार देश भर में मनाया जायेगा।

दीपावली का अर्थ

दीपावली, जिसे अक्सर दिवाली के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो भारत में मनाया जाता है। “दीपावली” शब्द संस्कृत भाषा से आया है और इसका अर्थ होता है  दीप + आवली। “दीप” का अर्थ होता है “दीपक” तथा “आवली” का अर्थ होता है “श्रृंखला” अथवा लाइन जिसका मतलब हुआ दीपो की शृंखला”दीपों की पंक्ति” या “लैंप्स की ओर जाने वाला पथ”। यह त्योहार प्रकाश की ओर जाने का संकेत देता है और रोशनी के दीपों का उपयोग करके मनाया जाता है।

दीपावली का महत्व है क्योंकि इसे भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में मनाया जाता है, जब लोगों ने उनका स्वागत दीपों की रोशनी से किया था। इसे भगवान श्रीराम की विजय का स्मरण करने के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि वे लंका के राक्षस राजा रावण को मारकर अयोध्या को विजयी वापस लाए थे।

इसे अलग-अलग भागों में भारत में विभिन्न नामों से मनाया जाता है, जैसे कि “काली पूजा” बंगाल में, “लक्ष्मी पूजा” महाराष्ट्र में, और “नरक चतुर्दशी” के रूप में सोमवार को सुदामा ने द्वारका वापस जाने पर किया जाता है।

दीपावली मनाने का समय

दीपावली का समय हर साल बदलता है, क्योंकि यह हिन्दू पंचांग (लुनर कैलेंडर) के आधार पर मनाया जाता है, और पंचांग के अनुसार इसका तिथि प्रत्येक वर्ष बदलती है। दीपावली हर साल अक्टूबर और नवम्बर के बीच होता है।

दीपावली पाक्षिक आधार पर मनाया जाता है, और यह पाक्षिक श्रवण मास (लुनर मास) की अमावस्या के दिन से शुरू होता है और कार्तिक मास की पहली तिथि (पड़वा) तक चलता है।

दीपावली का प्रमुख त्योहार चौदशी (छोटी दीपावली) होता है, जो कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को पड़ती है। चौदशी को लोग अपने घरों को सजाकर दीपक और दिए जलाकर मनाते हैं।

इसके बाद, पूरे भारत में पूर्णिमा (पूर्णिमा दीपावली) के दिन भगवान लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिसे धनतेरस भी कहते हैं। इसके बाद, अगले दिन अमावस्या के दिन मुख्य दीपावली होती है, जिसे लोग खूबसुरती से मनाते हैं।

कुल मिलाकर, दीपावली का त्योहार चार दिन तक चलता है, और इसके दौरान लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशियों का सावन उत्सव मनाते हैं।

दिवाली मनाने का कारण

हिदुओ के अनुसार दिवाली मनाने के कई कारण है-

1. भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने: दीपावली का मुख्य कारण भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में मनाया जाता है। श्रीराम, माता सीता, और लक्ष्मण अपने 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, और लोगों ने उनका स्वागत दीपों की रोशनी से किया था।

2. भगवान कृष्ण के विजय का स्मरण: दीपावली के पूर्व दिन को धनतेरस कहा जाता है, जो भगवान कृष्ण के द्वारका लौटने के दिन के रूप में मनाया जाता है। कृष्ण ने द्वारका के लोगों को नरकासुर के खिलाफ लड़कर जीत दिलाई थी, और लोग इस विजय को धनतेरस के रूप में मनाते हैं।

3. लक्ष्मी माता की पूजा: दीपावली के पूर्णिमा के दिन, भगवान लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिसे धनतेरस कहा जाता है। लक्ष्मी देवी की पूजा का मक्सद है धन, समृद्धि, और सौभाग्य की प्राप्ति करना।

पौराणिक कथाएं और धार्मिक महत्व: दीपावली के दौरान लोग भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, और भगवान कृष्ण की कथाओं का स्मरण करते हैं, जिससे उनके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को महसूस करते हैं।

दीपावली की तैयारी

दीपावली की तैयारियां कई दिन पहले से ही आरम्भ हो जाती है। दीपावली के कई दिन पहले से ही लोग अपने घरो की साफ-सफाई, लिपाई-पुताई सजावट प्रारम्भ हो जाती है। नए कपड़े ख़रीदे जाते है क्योकि ऐसी मान्यता है की जो घर साफ-सुथरे होते है, उन घरो में दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी विराजमान होती है और अपना आशीर्वाद प्रदान करके वहा सुख-समृद्धि में बड़ोत्तरी करती है। दिवाली के नजदीक आते ही लोग अपने घरो को दीपक और तरह-तरह के लाइट से सजाना शुरू कर देते है।

दीपावली का वर्णन

दीपावली का त्यौहार पांच दिनों तक चलने वाला सबसे बड़ा त्यौहार होता है। दीपावली से पहले धनतेरस का त्यौहार आता है। इस दिन बाजारों में चारो तरफ जनसमूह उमड़ पड़ता है। धनतेरस दे दिन बर्तन खरीदना शुभ मन जाता है। प्रत्येक परिवार अपने अपने आवश्यकता अनुसार कुछ न कुछ खरीदारी करता है। इस दिन घर के द्वार पर एक दीपक जलाया जाता है।

इससे अगले दिन नरक चतुदर्शी या छोटी दीपावली होती है। इस दिन यम पूजा हेतु दीपक जलाये जाते है और उसके अगले दिन दीपावली आती है। इस दिन घरो में सुबहः से ही तरह-तरह के पकवान बनाये जाते है। बाजारों में खील-बताशे, मिठाईया, खांड के खिलोने, लक्ष्मी गणेश आदि की मुर्तिया बिकने लगती है। स्थान स्थान पर आतिशबाजी और पटाखों की दुकाने सजी होती है।

दीपावली की शाम लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। पूजा के बाद लोग अपने अपने घरो के बाहर दीपक व मोमबत्तिया जलाते है। चारो और चमकते दीपक अत्यंत सुन्दर दिखाई देते है। रंग-बिरंगे बिजली के बल्बों से बाजार व गालिया जगमगा उठते है। बच्चे तरह तरह के पटाखों व आतिशबाजियो का आनंद लेते है। रंग बिरंगी फुलझड़िया आतिशबाजियां व अनारो के जलने का आनंद प्रत्येक आयु के लोग लेते है।

दीपावाली से अगले दिन गोबर्धन पूजा होती है जिसमे लोग अपने गाय बैलो को सजाते है तथा गोबर का पर्वत बनाकर पूजा करते है। अगले दिन भाई दूज का पर्व होता है। भाई दूज को यम द्वितीय भी कहते है। इस दिन बहिन अपने भाई के मस्तक पर तिलक लगा कर उसके मंगल की कामना करती है।

उपसंहार

दीपावली अपने अंदर के अंधकार को मिटा कर समूचे वातावरण को प्रकाशमय बनाने का त्यौहार है दिवाली का त्यौहार हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेणना देता है। दीपावली का त्यौहार सांस्कृतिक और सामाजिक सद्भाव का प्रतिक है। इस त्यौहार के कारण लोगो में आज भी सामाजिक एकता बानी हुए है।

“जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कही रह न जाये।”

Diwali Essay In Hindi 10 Lines

1. दिवाली भारत का सबसे लोकप्रिय त्यौहार है।

2. दिवाली को दीपावली भी कहते है।

3. यह त्यौहार हर साल अक्टूबर या नवंबर में मनाया जाता है।

4. दिवाली के दिन भगवान् श्रीराम चौदह साल का वनवास पूरा करके अयोध्या लोटे थे।

5. यह त्यौहार धनतेरस के लेकर भाई-दूज तक पांच दिन चलता है।

6. दिवाली दीपो का त्यौहार है।

7. दिवाली पर हर घर दियो से सजाया जाता है।

8. दिवाली पर बच्चे पटाखों की आतिशबाजी का आनंद लेते है।

9. इस पर्व पर घर-घर में स्वादिस्ट मिठाईया बनवाई जाती है।

10. दिवाली का त्यौहार हमें बहुत खुशिया देता है।

दीपावली पर निबंध 100 शब्दो में (Diwali Essay In Hindi 100 Words)

दिवाली हिन्दुओ का प्रमुख त्यौहार है। दिवाली त्यौहार हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाती है। इस दिन श्री राम अपना चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण करके अयोध्या वापस लोटे थे। श्री राम जी के घर वापस लौटने की ख़ुशी हर्ष उल्लाश मनाया गया वही परम्परा आज भी जारी है। दिवाली त्यौहार धनतेरस, नरक चतुर्दर्शी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भैया दूज त्यौहार का समूह माना जाता है। दिवाली वाले दिन शाम को सभी अपने अपने घरो में भी गणेश, माता लक्ष्मी और माँ सरस्वती जी की पूजा करते है। पूजा के बाद सभी अपने बड़ो का आशीर्वाद लेते है। दीपावली लोग एक दूसरे को उपहार और मिठाईया का भेट देते है। इस दिन बच्चे और बड़े सभी मिलकर खूब पटाखे जलाते है। दीपावली पर्व निराशा पर आशा की विजय पर्व के रूप में मनाया जाता है।

FAQs

1. दिवाली क्यों मनाई जाती है?

दिवाली का मनाने का प्रमुख कारण है भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में, जब लोगों ने उनका स्वागत दीपों की रोशनी से किया था।

2. दिवाली कैसे मनाई जाती है?

दिवाली के दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, दीपक जलाते हैं, रंगों का उपयोग करते हैं, और अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियों का त्योहार मनाते हैं।

3. दिवाली के दीपक क्यों जलाए जाते हैं?

दीपक जलाने का प्रमुख कारण है प्रकाश की रोशनी से अंधकार को दूर करना और आनंद की खोज करना।

4. दिवाली के पर्व के अलावा कौन-कौन से त्योहार मनाए जाते हैं?

दिवाली के अलावा, भारत में बहुत सारे और भी हिन्दू त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे कि होली, नवरात्रि, और दशहरा।

5. दिवाली के पर्व का अन्य सामाजिक महत्व क्या है?

दिवाली के पर्व का अन्य सामाजिक महत्व है कि यह लोगों को एक-दूसरे के साथ मिलकर समय बिताने का मौका देता है और उन्हें प्यार, एकता, और समरसता की भावना को महसूस कराता है।

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