कंप्यूटर आज की आवश्यकता पर निबंध

कंप्यूटर आज की आवश्यकता पर निबंध- कंप्यूटर एक इंलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो निर्धारित आकड़ो पर दिए गए निर्देशों के अनुसार विशेषित प्रकिर्या करके अपेक्षित सुचना या परिणाम प्रस्तुत करता है। इस लेख में हम आपको कंप्यूटर आज की आवश्यकता पर निबंध के बारे में जानकारी देने वाले है। आज के आधुनिक जीवन में अधिकतर काम हम कंप्यूटर के माध्यम से करते है। इस लेख में हमने कंप्यूटर के बारे में अधिक से अधिक जानकरी देने की कोशिश करी है उम्मीद करता हु आपको ये लेख पसंद आएगा।

कंप्यूटर आज की आवश्यकता पर निबंध (Computer Aaj Ki Avashyakta In Hindi 500 Word)

प्रस्तावना

नयी सदी में कंप्यूटर क्षेत्र मे आई क्रांति के कारण सूचनाओं की प्राप्ति और इनके संचार के संसाधनों में तेजी आई है। आज के कंप्यूटर वस्तुत: कृत्रिम बुद्धिवाले जड़ मशीनी-मानव है। कंप्यूटर विजयन के क्षेत्र में सुचना प्रोधोगिकी का आयाम जुड़ने से हुई प्रगति ने हमे अनेक प्रकार की सुविधाएं प्रदान की है। इनमे मोबाइल फ़ोन तथा इंटरनेट का विशेष स्थान है।

कंप्यूटर से जहा कार्य करने में समय कम लगता है वही इसके प्रयोग से मानव-श्रम में भी कमी आई है। यही कारण है की दिन-प्रतिदिन इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। पहले इनका प्रयोग कुछ सरकारी संस्थनो तक ही सिमित था, लेकिन आज इनका प्रयोग घर-घर में होने लगा है।

कंप्यूटर का विकास

प्रारम्भ में आदिमानव उंगलियो की सहायता से ना करता था। विकास के अनुक्रम में फिर उसने कंकड़ों द्वारा, रस्सी में गांध बांधकर तथा छड़ी पर निशान लगाकर ना करना आरम्भ किया। लगभग दस हजार वर्ष पहले अबेकस नामक मशीन का आविष्कार हुआ। इसका प्रयोग गिनती करने तथा संक्रियाए हल करने के लिए किया जाता है। 

यांत्रिक कलकुलेटर का उद्गम दो गणितज्ञों ब्लेज पास्कल और गॉट फ्राइड विलहेम के कार्यो में खोजा जा सकता है। चार्ल्स बैवेज ने जॉन नेपियर द्वारा खोजे गए लघुगणक अंको को समाहित कर सकनेवाली “ऑल पर्पज कॅल्क्युलेटिंग मशीन”  बनाने का विचार किया था। आधुनिक कंप्यूटर क्रांति 20 वी सदी के चौथे दशक में आरम्भ हुई। सन्न 1904 में खोजे गए थर्मियोनिक को वैज्ञानिक विन विलयम्स ने सन्न 1931 में गणक यन्त्र के रूप में उपयोगी पाया था।

हावर्ड एकेन द्वारा निर्मित “हावर्ड मार्क” नामक कंप्यूटर विश्व का पहला डिजिटल कम्प्यूटर था। इसमें इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिकल यन्त्रों का उपयोग गया था। इस कम्प्यूटर को सन् 1944 ई० मे जब “इण्टरनेशनल बिजनेस मशीन” (IBM) नामक फर्म और ‘हावर्ड एवं ‘इण्टरनेशलय’ ने मिलकर विकसित किया था। सन् 1946 ई० में बने विश्व का पहला पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कम्प्यूटर बना। इसमें दस अंकोंवाली बीस संख्याओं को संचित किया जा सकता था। इसकी कार्य करने की गति बहुत तेज थी। चार्ल्स बेवेज को कम्प्यूटर का आविष्कर्ता माना जाता है।

आज कम्प्यूटर में अनेक तरह के बदलाव आए हैं। कम्प्यूटर के कार्य करने की गति इतनी तीव्र हो गई है कि वह किसी भी गणना को करने में सेकण्ड का दस-खरबवाँ भाग जितना समय लेता है। इसके अलावा इससे अन्य कई तरह के कार्य भी लिए जा सकते हैं।

कम्प्यूटर का लाभ-

भारत मे प्रारम्भ में कम्प्यूटरों का उपयोग काफी सीमित था। वर्तमान में बैंक, अस्पताल, – प्रयोगशाला, अनुसन्धान केन्द्र, विद्यालय सहित ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहाँ कम्प्यूटर का प्रयोग न किया जा रहा हो। आज कम्प्यूटर संचार का एक महत्त्वपूर्ण साधन बन गया है। कम्प्यूटर नेटवर्क के माध्यम से देश के प्रमुख स्थानों को एक-दूसरे के साथ जोड़ दिया गया है। भवनो, मोटर गाड़ियों, हवाई जहाजों आदि के डिजाइन तैयार करने में कम्प्यूटर का व्यापक प्रयोग हो रहा है। अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तो कम्प्यूटर ने अद्भुत कार्य कर दिखाया है। इसके माध्यम से करोड़ो मील दूर अन्तरिक्ष के चित्र लिए जा रहे हैं। इन चित्रों का विश्लेषण भी कम्प्यूटर द्वारा ही किया जा रहा है। इण्टरनेट ने तो संचार के क्षेत्र में क्रांति ही ला दी है।

उपसंहार

कम्प्यूटर चाहे कम समय में मानव से अधिक कार्य कर ले और वह भी बिना किसी त्रुटि के, लेकिन उसे मानव-मस्तिष्क से तेज नहीं माना जा सकता; क्योंकि कम्प्यूटर का आविष्कार करनेवाला मानव ही है। इसलिए मानव कम्प्यूटर से श्रेष्ठ है। कम्प्यूटर उपयोगी होते हुए भी है तो मशीन ही। मशीन मानव के समान संवेदनशील नहीं हो सकती। मानव को कम्प्यूटर को एक सीमा तक ही प्रयोग में लाना चाहिए। मनुष्य स्वयं निष्क्रिय न बने, बल्कि वह स्वयं को सक्रिय बनाए रखे तथा अपनी क्षमता को सुरक्षित रखे।

इन्हे भी पढ़े-

Leave a Comment