Bhagat Singh Speech In Hindi

Bhagat Singh Speech In Hindi- भगत सिंह भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रन्तिकारी थे। उन्होंने चंद्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यो के साथ भारत को आजाद कराने के लिए अभूतपूर्व साहस का परिचय दिया और शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुकाबला किया। दोस्तों अगर आप भगत सिंह पर एक बढ़िया भाषण ढूढ़ रहे है तो आप सही जगह पर आये है इस लेख में मैं Bhagat Singh Speech In Hindi में एक भाषण देखने को मिलेगा जिसे आप अपने स्कूल और कॉलेज के लिए याद कर सकते है।

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Bhagat Singh Speech In Hindi

Bhagat Singh Speech In Hindi

भगत सिंह पर भाषण

“भारत देश का था वो दुलारा
झुके उसके आगे शीश हमारा
हंसकर झूल गया वो फांसी पर
वो है पुरे हिंदुस्तान को प्यारा”

सम्माननीय अतिथि गण, माननीय प्रधानाचार्य, समस्त शिक्षक गण एवं मेरे प्यारे साथियों आप सभी को मेरा प्रणाम! आज मैं आप सभी के समक्ष भगत सिंह के बारे में कुछ विचार एवं भावनाएं लेकर उपस्थित हुआ हूँ।

लोकप्रिय रूप से शहीद भगत सिंह के रूप में संदर्भित यह उत्कृष्ट क्रांतिकारी 28 जनवरी 1907 को पंजाब के जालंधर दोआब जिले के संधू जाट परिवार में पैदा हुआ। वे कम उम्र में ही आजादी के लिए संघर्ष में शामिल हो गए थे और 23 वर्ष की आयु में शहीद भी हो गए थे। अपने वीर और क्रांतिकारी कृत्यों के लिए मशहूर भगत सिंह का जन्म उस परिवार में हुआ था जो भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष में सक्रिय रूप से शामिल था।

शुरू हुआ सन्न 57 में
आजादी का नया फसाना था
1907 में जन्म लिया एक बालक ने
जिसे आगे चलकर
शहीद-ए-आजम कहलाना था।

उनके पिता सरदार किशन सिंह और चाचा सरदार अजीत सिंह उस समय के लोकप्रिय नेता थे। वे गांधीवादी विचारधारा का समर्थन करने के लिए जाने जाते थे और उन्होंने ब्रिटिशों के विरोध में जनता को प्रेरित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ा। वे विशेष रूप से चरमपंथी नेता बाल गंगाधर तिलक से प्रेरित थे।

स्वतंत्रता आंदोलन में पंजाब के उदय के बारे में बात करते हुए एक बार भगत सिंह ने बताया, “1906 में कलकत्ता में कांग्रेस सम्मेलन में उनके पिता और चाचा के उत्साह को देखकर लोकमान्य ने प्रसन्न होते हुए उन्हें अलविदा कहा और उन्हें पंजाब में आंदोलन को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी।

भगत सिंह था नाम उसका
मुख सूरज से भी प्यारा था
तेज झलकता था मुखमण्डल पर
भारत माँ का राज दुलारा था

लाहौर लौटने पर दोनों भाइयों ने ब्रिटिश राज को उखाड़ फेंकने के लिए अपने विचारों का प्रचार करने के उद्देश्य के साथ भारत माता नाम से एक मासिक अख़बार शुरू किया। देश के प्रति वफादारी और ब्रिटिशों के चंगुल से मुक्त करने के अभियान में इस प्रकार भगत सिंह का जन्म हुआ था।

इस प्रकार देशभक्ति उनके रंगों में दौड़ने लगी थी। भगत सिंह 1925 में यूरोपीय राष्ट्रवादी आंदोलनों के बारे में पढ़कर बहुत प्रेरित हो गए थे। उन्होंने अगले वर्ष नौवहन भारत सभा की स्थापना की और बाद में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हो गए जहां उन्होंने सुखदेव और चंद्रशेखर आजाद सहित कई प्रमुख क्रांतिकारियों के साथ संपर्क स्थापित किया।

जब से बसंती चोला ओड़ा
देश प्रेम ही सहारा था,
अरे दिलो-दिमाग पर रहता सदा ही 
इंकलाब का नारा था।

उन्होंने कीर्ति किसान पार्टी की पत्रिका, “कीर्ति” में लेखों का योगदान भी शुरू किया। हालांकि उनके माता-पिता चाहते हैं कि वे उसी समय शादी करें पर उन्होंने उनकी इस इच्छा को खारिज कर दिया और कहा कि वे स्वतंत्रता संग्राम में अपना जीवन समर्पित करना चाहते हैं। कई क्रांतिकारी गतिविधियों में उनकी सक्रिय भागीदारी के कारण वह जल्द ही ब्रिटिश पुलिस की नज़रों में आ गए और मई 1927 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

जब से बसंती चोला ओड़ा
देश प्रेम ही सहारा था,
अरे दिलो-दिमाग पर रहता सदा ही 
इंकलाब का नारा था।

कुछ महीने बाद उन्हें रिहा कर दिया गया और इसके बाद उन्होंने समाचार पत्रों के लिए क्रांतिकारी लेख लिखने शुरू किए। 1928 में ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों के लिए स्वायत्तता की चर्चा के लिए साइमन कमीशन का गठन किया था। इसका कई भारतीय राजनीतिक संगठनों द्वारा बहिष्कार किया गया था क्योंकि साइमन कमीशन में किसी भी भारतीय प्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया था। लाला लाजपत राय ने एक जुलूस का नेतृत्व करके लाहौर स्टेशन की ओर बढ़ते हुए इसका विरोध किया।

12 साल के भगत सिंह की आँखे
जलियावाला बाग़ 
देख भर आयी थी,
आजादी ही दुल्हन है मेरी
कसम ये उसने खायी थी।

भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश में पुलिस ने लाठी चार्ज के हथियार का इस्तेमाल किया और प्रदर्शनकारियों को क्रूरता से मारा । लाला लाजपत राय गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। कुछ हफ्तों बाद उन्होंने अपनी चोटों के कारण दम तोड़ दिया।

इस घटना से भगत सिंह इतने क्रोधित हुए कि उन्होंने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने की योजना बनाई । भगत सिंह ने ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन पी सॉन्डर्स को जल्द ही मार दिया। उन्होंने और उनके सहयोगियों में से एक ने बाद में दिल्ली में केंद्रीय विधान सभा में बम भी फेंका।

बात पते की सबसे पहले
भगत सिंह ने पहचानी थी,
अरे वीरों ने हथियार गिराए
तब शुरू हुई अग्रेजो की मनमानी थी।

इसके बाद उन्होंने इस घटना में अपनी भागीदारी कबूलते हुए पुलिस में आत्मसमर्पण कर दिया। जांच अवधि के दौरान भगत सिंह ने जेल में भूख हड़ताल की। 23 मार्च 1931 को उनको और उनके सह षड्यंत्रकारी राजगुरू और सुखदेव को फांसी की सज़ा दे दी गई।

भगत सिंह एक सच्चे देशभक्त थे। उन्होंने न केवल देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी बल्कि देश की आज़ादी के लिए के लिए सर्वोच्च बलिदान देने से भी पीछे नहीं हटे। उनकी मृत्यु से पूरे देश में मिश्रित भावनाएं फ़ैल गई जबकि गांधीवादी विचारधारा में विश्वास करने वाले लोगों का मानना था कि वे बहुत आक्रामक और कट्टरपंथी थे और वहीं दूसरी तरफ उनके अनुयायी उन्हें शहीद मानते थे। उन्हें अभी भी शहीद भगत सिंह के रूप में याद किया जाता है।

“मेरे सर पर कर्जा है भगत सिंह की चीखो का,
मेरा ह्रदय आभारी है उनकी दी हुई सीखो का”

भगत सिंह स्लोगन/ भगत सिंह शायरी/ भगत सिंह के नारे

खून से लथपथ माटी देख
दिमाग भगत सिंह का घुमा था,
और निर्दोषो के खून
से सनी उस माटी को
भगत सिंह ने चूमा था।

शुरू हुआ सन्न 57 में
आजादी का नया फसाना था
1907 में जन्म लिया एक बालक ने
जिसे आगे चलकर
शहीद-ए-आजम कहलाना था।

भगत सिंह था नाम उसका
मुख सूरज से भी प्यारा था
तेज झलकता था मुखमण्डल पर
भारत माँ का राज दुलारा था।

जब से बसंती चोला ओड़ा
देश प्रेम ही सहारा था,
अरे दिलो-दिमाग पर रहता सदा ही
इंकलाब का नारा था।

12 साल के भगत सिंह की आँखे
जलियावाला बाग़
देख भर आयी थी,
आजादी ही दुल्हन है मेरी
कसम ये उसने खायी थी।

बात पते की सबसे पहले
भगत सिंह ने पहचानी थी,
अरे वीरों ने हथियार गिराए
तब शुरू हुई अग्रेजो की मनमानी थी।

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भगत सिंह पर 10 लाइन

(1)- भगत सिंह भारत के एक महान क्रांतिकारी थे।

(2)- उनका जन्म 28 सितम्बर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा गांव में हुआ था।

(3)- उनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती था।

(4)- भगत सिंह ने देश की आजादी के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया।

(5)- उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना की।

(6)- जलियावाला बाग हत्याकांड का उनके मन पर काफी परिणाम हुआ।

(7)- उन्होंने लाला लाजपतराय की मौत के बाद ब्रिटिश अधिकारी सांडर्स की हत्या की।

(8)- भगत सिंह ने इंक़लाबा जिंदाबाद का प्रसिद्ध नारा दिया।

(9)- ब्रिटिश सरकार ने 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव, और राजगुरु को फांसी दी।

(10)- भगत सिंह सभी युवाओ के लिए एक महान प्रेणना है।

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