पंचतंत्र की कहानियां- पंचतंत्र की कहानियां हिन्दी साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इनके लेखक का नाम विष्णुशर्मा है। विष्णुशर्मा ने पंचतंत्र की कहानियों को एक बहुत ही बुद्धिमान और शिक्षाप्रद तरीके से तैयार किया था। उनकी कहानियाँ नीतिशास्त्र, धर्म, और मानवता के महत्वपूर्ण सिख देती हैं। विष्णुशर्मा का यह योगदान आज भी हमारे साहित्य के इतिहास में महत्वपूर्ण है और उनके द्वारा रची गई कहानियाँ लोगों के बीच लोकप्रिय हैं। दोस्तों इस लेख में हम पंचतंत्र की 101 कहानियां के बारे में जानेंगे।
पंचतंत्र की कहानियां/ पंचतंत्र की 101 कहानियां
1. अजनबियों पर विश्वास मत करो
वह स्वर्ण हंसों की कहानी है जो राजा के महल के बगल वाले सुंदर बगीचे में रहते थे। राजा रोज उस बगीचे में जाता था और सोने के पंखों को इकट्ठा करता था। यह उन सुनहरे पंखों की बेचकर बहुत अमीर बन गया। एक दिन वह बगीचे में गया और उसने आम के पेड़ पर बैठी एक कोयल पक्षी को मधुरता से गाते हुए सुना। राजा उसकी आवाज से इतना मंत्रमुग्ध हो गया कि उसने उसे बगीचे में रहने के लिए कहा। लेकिन कोयल उन स्वर्ण हंसों से ईर्ष्या करती थी। उसने झूठ बोला कि अगर मैं यहाँ रहूंगी तो ये हंस मुझे मार डालेंगे। राजा क्रोधित हो गया और उसने अपने सैनिकों को हंसों को मारने का आदेश दिया। जब राजा के सैनिक हंसों को मारने आए तब तक वे वहाँ से उड़ चुके थे। ऊँचे उड़ते हुए उन्होंने कहा- “हे राजा! आप मूर्ख हैं जो आपने किसी अजनबी पर भरोसा किया। अब अलविदा!” जब तक राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ तब तक हंस बहुत दूर उड़ गए थे।
2. नीला भेड़िया
एक दिन एक भेड़िया भोजन की तलाश में एक गाँव में चला गया। उसने एक घर में प्रवेश किया। भेड़िया घर में एक आदमी को देखकर डर गया और वह अपने जीवन को बचाने के लिए भाग गया। भागते समय उसने एक खुली खिड़की देखी और आगे बढ़ा। तभी वह नील की बाल्टी में गिर गया और उसका पूरा शरीर नीले रंग में रंग गया। उसे कोई भी नहीं देख रहा था। वह जंगल में भाग गया। अगले दिन सभी जानवर उसे देखकर चौंक गए। वे सभी शेर के पास गए और उन्होंने शेर को नीले रंग के जानवर के बारे में बताया। सभी जानवर नीले भेड़िये के पास आए और उससे पूछा- “आप कौन हैं? आप कहाँ से आए हो?” नीले भेड़िये ने कहा- “मैं ईश्वर का दूत हूँ। उन्होंने मुझे यहाँ शासन करने के लिए भेजा है।” सभी जानवरों ने उसे अपने नए राजा के रूप में स्वीकार किया। उसे हर किसी ने विशेष उपहार दिये। एक रात, सियार का एक झुंड आया, जिसे देखकर उसने जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया। अपने प्राकृतिक स्वभाव वाली उसने कर्कश आवाज निकाली। उसकी गुफा की रक्षा करने वाले जानवरों को एहसास हुआ कि उनका राजा ईश्वर का दूत नहीं था बल्कि एक साधारण भेड़िया था। सभी जानवर उसके चारों ओर इकट्ठे हुए और उसे मार दिया।
3. एकता में शक्ति
काफी समय पहले, एक गाँव में कबूतरों का एक झुंड रहता था, उन्हें वहाँ खाने के लिए कुछ भी नहीं मिलता था। वे पास के खेतों में भोजन की तलाश में चले गए। उन्हें वहाँ अनाज दिखा। उन सबने वहाँ जाकर अनाज खाना शुरू कर दिया। तभी अचानक एक शिकारी आया और सभी उसके जाल में फँस गए। सभी कबूतर उदासीन हो गए और डर से उन्होंने अपने पंखों को फड़फड़ाना शुरू कर दिया। कबूतरों का राजा जानता था कि अगर वे एक साथ प्रवास नहीं करेंगे तो वे खुद को जाल से मुक्त नहीं करा पायेंगे। जब शिकारी दूर था तब कबूतरों के राजा ने सभी कबूतरों से कहा कि वे एक साथ उड़ने की कोशिश करें। उन्होंने एक सामूहिक प्रयास किया और एक सुरक्षित स्थान पर पहुँचने के लिए जाल के साथ उड़ान भरी। एक सुरक्षित स्थान पर पहुँचकर वहाँ उन्होंने अपने दोस्त चूहों को बुलाया। चूहों ने जाल को काट दिया और सभी कबूतरों को मुक्त कर दिया।
4. उल्लू और कौए की दुश्मनी
एक समय पर, जंगल के राजा ने फैसला किया कि पक्षियों का भी एक राजा होना चाहिए। इसलिए उसने पक्षियों से अपने राजा का चुनाव करने के लिए कहा। सभी पक्षियों ने अपने राजा होने के लिए चील और उल्लू को नामित किया। अगले दिन सभी पक्षी पेड़ ने नीचे इकट्ठा हुए और मतदान शुरू किया। उल्लू और चील दोनों को समान बोट मिले। अब कौए की बारी थी उसका वोट निर्णायक वोट था। चूँकि की आ उल्लू का सबसे अच्छा मित्र था। उल्लू बहुत ही आश्वस्त था कि वह चुनाव जीतेगा।।। लेकिन कौए ने चील के लिए मतदान किया था। चील ने चुनाव जीता और उल्लू ने कौए के कारण इसे खो दिया। कौए ने उल्लू का विश्वास तोड़ दिया। उल्लू ने कौए से पूछा कि उसने उसके विश्वास को क्यों तोड़ा। कौए ने कहा- “तुम बदसूरत और अर्थ हो। मैं तुम्हें पक्षियों का राजा होने के लिए कैसे चुनता?” यह सुनकर, उल्लू बहुत दुःखी हो गया और कौए को उसने कभी अपना चेहरा नहीं दिखाया। तब से कौआ और उल्लू दुश्मन है।
5. खरगोश और हाथी
एक बार एक जंगल में गर्मियों में झील का पानी सुख गया था। राजा हाथी ने अपनी प्रजा को बुलाया और कहा- “मैंने किसी दूसरे जंगल में एक विशाल झील देखी है। चलो हम सब वहा चलते है।” वे उस जंगल की और चल दिए और झील पर पहुंच गए। सभी हाथी पानी को देखकर इतने उत्साहित थे की अज्ञात रूप से वह खरगोशो के एक झुण्ड पर चढ़ गए। यह देखकर एक बुद्धिमान खरगोश राजा हाथी के पास गया और कहा- “इस चन्द्रमा ने इस झील के पानी को पीने से मना किया है, क्योकि यह झील चन्द्रमा की है।” खरगोश हाथी को झील में ले गया। रात में खरगोश ने झील में चन्द्रमा के प्रतिबिम्ब की और इशारा किया और कहा- “चन्द्रमा क्रोध से हिल रहे है। राजा हाथी ने पानी में चन्द्रमा का प्रतिबिम्ब देखा और दूसरे हाथियों के साथ वन छोड़ने से पहले खरगोश से माफी मांगी। उसके बाद खरगोश उस झील के पास ख़ुशी से रहने लगे।
6. बरसात के दिनों में बंदर और पक्षी
एक आम के पेड़ पर एक पक्षी रहता था। वह बहुत शरारती और अभिमानी था। उसने अपना घोसला तिनके, पत्ते और पंख इकट्ठा करके बड़ी मेहनत से निर्माण किया था। यह बहुत सी और अभी अप घोंसला तिनके पत्ते और पंख इकट्ठा करके कड़ी मेहनत से निर्माण किया था। उसे अपने सुंदर घर पर गर्व था। अचानक एक दिन भारी बारिश शुरू हो गई। सभी पक्षी और जानवर अपने-अपने घरों मे चले गए। एक बंदर ने भी पेड़ के नीचे आश्रम से लिया जहाँ पर उस पक्षी ने अपना घर था। बंदर पूरी तरह से भीग गया था। भीगे हुए बंदर को देखकर अभिमानी पक्षी ने कहा- “तुम गरीब पशु बरसात का मौसम आने से पहले अपना घर क्यों नहीं बनाते हो? क्या आपको नहीं पता था कि आपको एक आश्रम की आवश्यकता होगी? यदि आप पहले कड़ी मेहनत कर चुके होते तो अब आपको काँपना नहीं पड़ता। बंदर ने अपना आपा खो दिया और घोसले को एक झटके में तोड़ दिया। यह पक्षी भयभीत हो गया और वह आश्रय के बिना पूरी रात भीगते हुए रोता रहा।
7. चालाक लोमड़ी ने अपना जीवन बचाया
एक बार एक समय शेरनी और शेर की लड़ाई हो गई। शेरनी चिल्लाते हुए बोली – “तुम इतने बदसूरत दिखते हो। मैं तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहती हूँ।” शेर ने कहा- “इस जंगल में मुझसे सुंदर कोई नही। है।” आप यह कैसे कह सकते हैं? यह कहकर शेर उसकी पुष्टि करने के लिए जंगल में गया। सबसे पहले वह भेड़ के पास गया। “आप क्या सोचती हैं, क्या मैं अच्छा नहीं दिखता हूँ?” भेड़ ने कहा- “हे भगवान, मैं हमेशा सच्चाई के साथ खड़ी रहती हूँ और आज भी मैं सत्य ही कहूँगी।” शेर ने कहा- “हाँ चलो, बताओ।” “नहीं आप, अच्छे नहीं दिखते हैं।” भेड़ ने कहा, शेर ने भेड़ को मारा और उसकी हत्या कर दी। फिर उसने भेड़िये से भी वही सवाल पूछा। शेर के डर से भेड़िये ने कहा- “हाँ, आप बहुत अच्छे दिखते हैं।” शेर को लगा भेड़िया झूठ बोल रहा है। इसलिए उसने उसे भी मार दिया। अब वह लोमड़ी के पास गया। शेर ने उससे भी वही सवाल पूछा। लोमड़ी ने अपनी आँखों को बंद कर दिया और उन्हें रगड़ना शुरू कर दिया। उसने कहा- “महाराज, मेरी आँखों में कुछ हो गया है, मैं कुछ भी नहीं देख सकती।” शेर ने लोमड़ी पर विश्वास किया और उसे जाने दिया। उसने बुद्धि और ज्ञान के साथ अपना जीवन बचा लिया।
8. कभी किसी पर अंधविश्वास न करें
बहुत पहले एक बैल था। जो एक किसान के खेत में रहता था। एक दिन वह जंगल गया और शेर से मिला। दोनों अच्छे दोस्त बन गए। वे दोनों एक साथ जंगल के चारों ओर घूमते थे और एक साथ खाना खाते थे। बैल के साथ शेर की बढ़ती दोस्ती को देखते हुए गधे को ईर्ष्या हो गई। उसने उनकी दोस्ती तोड़ने की कोशिश की। जब बैल दूर हो गया तो गधा शेर के पास गया और कहा- “महामहिम, बैल बहुत चालाक है। वह जंगल का राजा बनना चाहता है और आपको मारने की योजना बना रहा है।” शेर यह सुनकर इतना क्रोधित हो गया कि वह सीधे बैल को मारने के लिए चला गया। सच्चाई को जाने बिना शेर ने बैल पर चढ़ाई कर दी और उसे मार दिया।
9. ब्राह्मण और धोखेबाज़
एक बार एक ब्राह्मण एक छोटे से गाँव में रहता था। एक दिन अमीर व्यापारी ने उसे उसकी सेवाओं के लिए एक बकरी दी। ब्राह्मण ने अपने कंधे पर बकरी को बैठा लिया और अपने घर की तरफ चलने लगा। रास्ते में दो बदमाशों ने ब्राह्मण को देखा। वे उसे धोखा देना चाहते थे और बकरी को उससे लूट लेना चाहते थे। इसलिए वह विभिन्न स्थानों पर छिप गए और उसके लिए इंतजार करने लगे। जब ब्राह्मण एक एकांत स्थान पर पहुँचा तो पहले मदमाश ने उससे पूछा- तुम कुत्ते को ऐसे क्यों ले जा रहे हो? ब्राह्मण नाराज हो गया। लेकिन वह आगे बढ़ता ही रहा। थोड़ी देर के बाद, दूसरे बदमाश ने ब्राह्मण से पूछा-तुम इस गधे को ऐसे क्यों ले जा रहे हो ? ब्राह्मण डर गया। उसने सोचा, क्या यह बकरी एक भूत है जो रूप बदल रही है? उसने सड़क के किनारे बकरी को फेंक दिया और भाग गया। बदमाशों ने बकरी को ले लिया और दावत मनाई।
10. कौआ और साँप
एक बरगद के पेड़ पर एक कौए का जोड़ा रहता था। उस पेड़ में एक छेद था। एक साँप उसमें रहता था। वह नवजात बच्चों को खाने के लिए घोंसले तक चढ़ता था। लेकिन माँ कौआ उस पर चोंच मारती और वह दूर चला जाता। कौआ जोड़ी हर दिन भोजन की तलाश में जाती थी। एक दिन जब वे अपने घोंसले में वापस आए तो उन्होंने देखा कि साँप उनके बच्चों को जल्दी-जल्दी खा रहा था। वे चतुर लोमड़ी के पास गए, जिसने उन्हें बताया कि उन्हें साँप से कैसे छुटकारा पाना है ? अगले दिन कौए पास के तालाब में चले गए। जहाँ शाही महिलाएं स्नान करती थी। माँ कौए ने मोती का हार चुरा लिया। राजा के सैनिक उसके पीछे • भाग लिए। कौए ने उस छेद के पास वह हार छोड़ा जहाँ साँप रहता था। जब साँप घिसटता हुआ बाहर आया तो सैनिकों ने उसे मार डाला। कौआ युगल बहुत खुश था। जल्द ही माँ कौआ अंडे देने के बाद अपने बच्चों के निकलने का इंतजार करने लगी।
पंचतंत्र की कहानियां इन हिंदी
11. चतुर सारस और चालाक केकड़ा
एक सारस जो मछली से भरे तालाब के पास रहता था। । लेकिन जब वह बूढ़ा हो गया तो उसके लिए मछलियाँ पकड़ना मुश्किल हो गया था तो उसने एक योजना बनाई। वह तालाब में खड़े होकर जोर से चिल्लाया “जल्द ही यह झील सूख जाएगी और कोई नहीं बच पाएगा।” एक केकड़े ने उसे सुना और तालाब में सभी मछलियों को यह संदेश फैलाया। मछलियाँ घबरा गई और चालाक सारस ने उन्हें अगली सुबह इस नदी से दूसरी नदी तक ले जाने की पेशकश की। हर दिन सारस अपनी चोंच में एक मछली लेकर नदी से उड़ता और दूर एक चट्टान पर मछली को मार कर खा जाता। उसने एक-एक करके कई मछलियों का भोजन किया। एक दिन केकड़े की बारी थी। सारस ने अपनी पीठ पर केकड़े को बैठाया और चट्टानों की ओर उड़ गया। जब उड़ते हुए केकड़े ने नीचे चट्टानो पर मछली की हड्डियों को देखा तो उसे सारस की योजना समझ में आ गई। उसने सारस की गर्दन पर काट लिया जिससे सारस की मौत हो गई और तालाब में अन्य प्राणियों के जीवन को बचा लिया।
12. हाथी को सबक सिखाया
चिड़ियों का झुंड एक बरगद के पेड़ पर रहता था। वहाँ पर उन्होंने अंडे रखे हुए थे। एक दोपहर एक दुष्ट हाथी ने उनके अंडे तोड़ दिए। चिड़ियों के दोस्त कंठफोड़वा, मक्खी और मेंढक ने यह होते देखा। अगले दिन जब हाथी उसी रास्ते को पार कर रहा था तो मक्खी हाथी के कान में गुंजन करने लगी और कंठफोड़वा ने उसकी आँख पर वार किया, हाथी दर्द से कराहने लगा। वह अपने चेहरे पर पानी मारना चाहता था। बस फिर, तभी उसने मेंढक की कर्कश आवज सुनी। मेंढक नदी के बजाय दलदल के पास टर्र-टर्र कर रहा था। उसने आवाज का पालन किया और दलदल में गिर गया। “कृपया। मेरी मदद करें! मैंने क्या किया है?” हाथी ने पूछा। मेंढक ने चिड़ियों के अंडों के बारे में उसे याद दिलाया। हाथी को खेद था और उसने वादा किया कि वह ऐसा फिर नहीं करेगा।
13. चेरी के पेड़ पर बंदर
एक बंदर नदी के पास चेरी के पेड़ पर रहता था। एक दिन एक मगरमच्छ ने उससे कहा- “मुझे भूख लगी है. कृपया मुझे कुछ खाने को दे दो।” बंदर ने उसे चेरी दे दी। यह क्रम हर दिन चलता रहा और जल्द ही वे दोनों अच्छे दोस्त बन गए। एक दिन मगरमच्छ ने अपनी पत्नी को कुछ चेरी ले जाकर दी। उसने कहा- “बंदर का दिल कितना प्यारा होगा जो हर दिन इस फल को खाता है।” उसने अपने पति को बंदर के दिल को लाने के लिए कहा। मगरमच्छ अनिच्छा से सहमत हुआ। अगले दिन उसने बंदर को कहा- “प्यारे दोस्त, मेरी पत्नी ने आपको दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित किया है।” आओ, चलें। रास्ते में मगरमच्छ ने उसे सच बता दिया। बंदर ने कहा- “मेरा दिल तो पेड़ पर है चलो उसे ले आएँ।” जब वे नदी किनारे पहुँचे तो बंदर वृक्ष पर चढ़ा और उसने कहा- “तुम विश्वासघाती हो चले जाओ!” मगरमच्छ शर्मिंदा था। वह अपना एक दोस्त खो चुका था।
14. टॉम के गले में घंटी कौन बाँधेगा ?
एक बार एक समय, चूहों के एक समूह को टॉम नामक एक बिल्ली का भय था। हर बार टॉम उनकी कालोनी में आती थी जब भी युवा चूहे बाहर खेलते थे तब टॉम बिल्ली उनमें से एक चूहे को पकड़कर खा जाती थी। चूहे बहुत तनावग्रस्त थे और उन्होंने एक बैठक बुलाई। उस बैठक में उन्होंने फैसला किया कि टॉम ने उन्हें बहुत परेशान किया हुआ है। अब उसे सबक सिखाने का समय है। एक युवा चूहे ने एक योजना बनाई। उसने कहा- “चलो बिल्ली की गर्दन में घंटी बाँधते हैं। जब भी वह यहाँ आएगी, घंटी की झंकार होने लगेगी और हमें पता लग जाएगा कि वह आ रही है।” दूसरे चूहे ने कहा- “हाँ, यह एक अच्छा विचार है।” आइए हम सभी को यह करने की जरूरत है। उन्होंने अपनी योजना को पूरा करने के लिए उन चीजों के बारे में चर्चा करना शुरू कर दिया। इन सबके बाद, एक बुजुर्ग चूहे ने कहा- “मेरे प्यारे चूहों, पहले मुझे बताओ कि टॉम की गर्दन में घंटी बंधेगी कैसे?” यह सुनकर सभी चूहों ने ध्यान देना शुरू कर दिया और चूँकि किसी भी चूहे के पास टॉम की गर्दन में घंटी बाँधने की ताकत नहीं थी।
15. सारस जिसने अपने जीवन को खतरे में डाला
एक बार एक लोमड़ी जंगल में खाना खोज रही थी। कुछ आगे जाने के बाद उसने एक मृत भेड़ के बच्चे को पाया। वह बहुत खुश हो गई, वह उसी भोजन पर निर्भर थी। जब उसे वह खा रही थी, तभी एक हड्डी उसके गले में फँस गई। लोमड़ी दर्द से रोती रही और दर्द से राहत पाने के लिए सारस के पास गई। उसने सारस से कहा- “हे मेरे प्यारे दोस्त, कृपया मेरी मदद करो। एक हड्डी मेरे गले में फँस गई है। कृपया इसे बाहर निकालिए। मैं सारी जिन्दगी आपकी आभारी रहूंगी। मैं आपको इनाम भी दूंगी।” लोमड़ी की मजबूरी को देखकर सारस ने अपने सिर को लोमड़ी के मुँह में डाला और हड्डी को बाहर खींच लिया। सारस ने पूछा- “प्रिय, मैंने आपके गले से हड्डी निकाली है अब मुझे अपना इनाम दे दो।” चालाक लोमड़ी ने इनाम नकार दिया और कहा – “क्या इनाम ? क्या आप मूर्ख प्राणी हैं। यह आपके लिए एक इनाम नहीं है। कि मैंने आपको बिना मारे जिन्दा छोड़ दिया है? सारस कुछ न कहकर वापस चला गया।
16. बेवकूफ मोर
सूरज निकला हुआ था। लोमड़ी भोजन की खोज में जा रही थी। चारों तरफ घूमते हुए उसे एक पेड़ पर एक खूबसूरत मोर दिखा। “हे भगवान! मैं भोजन के लिए भटक रही हूँ और सुबह से खाने के लिए कुछ नहीं मिला। लेकिन हाँ, यह मोर मेरे लिए एक स्वादिष्ट भोजन हो सकता है।” वह मोर को खाने के लिए पेड़ पर नहीं चढ़ सकती थी। इसलिए उसने मोर को खाने की योजना के बारे में सोचा। उसने मोर से कहा- “हे मित्र, आप यहाँ बैठे हैं और आपके दोस्त आपकी खोज कर रहे हैं।” मोर ने कहा- “ओह! वे कहाँ हैं?” “लोमड़ी ने कहा चिन्ता मत करो मित्र मैं तुम्हें वहाँ ले जाऊँगी। मेरे साथ आओ।” जैसे ही मोर पेड़ से उतरने को हुआ, लोमड़ी ने उछलकर अपने दाँतों को मोर के गले में गाड़ दिया और उसे खा लिया।
17. बेवकूफ गधा
एक बार एक किसान था। उसके पास एक गधा और पालतू कुत्ता था। गधा बहुत परेशान था क्योंकि उसे लगता था कि सब काम करने के बाद भी सभी कुत्ते को ही प्यार करते हैं। एक दिन गधे ने कुत्ते को देखा। जब किसान काम से वापस आया तो कुत्ता उसके पास आया। फिर उसने भौंकना शुरू किया और अपनी पूँछ को झुकाया। किसान ने उस पर प्यार से हाथ फेरा और उस पर अपना प्यार दिखाया। गधे ने अपने मालिक के प्यार को पाने के लिए ऐसा करने का फैसला किया। अगले दिन जब किसान काम से वापस आया, गधे ने कुछ नहीं देखा और किसान के पास भाग आया। उसने जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया और अपनी पूँछ को झुका लिया। किसान भयभीत हो गया और उसने गधे को दूर हटा दिया। गधे को बाद में अपनी मूर्खता का एहसास हुआ और उसने निर्णय लिया कि फिर से दूसरों की नकल नहीं करेगा।
18. तीन मछली
एक बार एक बड़ी झील में तीन बड़ी मछलियाँ रहती थी। उनकी आपस में गहरी दोस्ती थी। पहली भाग्य में विश्वास रखती थी। दूसरी बुद्धिमान थी और उसे पता था कि हर समस्या का समाधान है। तीसरी बहुत चतुर थी और स्थितियों का पूर्वानुमान लगा सकती थी। एक दिन बुद्धिमान मछली ने एक मछुआरे को दूसरे से बात करते सुना कि इस झील में बहुत सी मछलियाँ हैं अगले दिन जाल डालकर इस झील से बहुत सारी मछलियाँ पकड़ेंगे। चतुर मछली ने अपने दोस्तों से कहा- “हमें मछुआरों के आने से पहले भागना होगा।” बुद्धिमान मछली ने कहा- “एक नहर है जो दूसरी झील की ओर जाती है।” तब भाग्य में विश्वास करने वाली मछली कहती है-“जो कुछ होना है वही होगा। मैं यहाँ पैदा हुई थी इसलिए में नहीं जा रही हूँ।” नई झील के लिए दोनों दूसरी मछलियाँ निकल गई। मछुआरों ने अगली सुबह आकर अपने जाल को डाला। पहली मछली इसमें कई अन्य छोटी मछलियों के साथ फँस गई। उसने महसूस किया कि अगर सही समय पर सही विचार किया होता तो आज वह बच गई होती।
19. बातूनी कछुआ
एक झील में दो हंस और एक बातूनी कछुआ रहते थे। उनकी आपस में गहरी दोस्ती थी। गर्मियों में जब झील सूखने लगी। हंसों ने दूसरी झील में जाने का फैसला किया। कछुआ उड़ नहीं सकता था। उसने हंसों को एक मजबूत लकड़ी की छड़ी ढूंढने के लिए कहा। उसने कहा- “आप अपनी चोंच में छड़ी पकड़े रहे और मैं अपने मुँह के साथ छड़ी पर लटका रहूंगा। इस तरह हम सभी नई झील में जा सकते हैं। हंस ने कहा- “आप बातूनी हैं। पहले आप वादा करो कि आप अपना मुंह नहीं खोलोगे।” कछुए ने चुप रहने का वादा किया। अगली सुबह उन्होंने अपनी यात्रा शुरू की। कछुआ ऊपर से सुंदर जगहों को देखकर आश्चर्यचकित था। वे गाँवों और कस्बों के ऊपर उड़ते गए। जब बच्चों ने उन्हें देखा तो वे चिल्लाने लगे और ताली बजाने लगे। कछुए ने ताली बजाने का कारण जानने के लिए मुँह खोला। वह जमीन पर गिर गया और मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
20. प्यासा की कौआ
गर्मी की कड़ी दोपहर में एक कौआ पानी की तलाश में उड़ रहा था। प्यासा और थका हुआ। वह एक बरगद के पेड़ की शाखा पर बैठा था। अचानक उसने पेड़ के दूसरी तरफ एक घड़ा देखा। प्रसन्न होकर कौआ घड़े के पास गया और देखा कि उसमें कुछ पानी था। उसने सोचा इससे मेरी प्यास बुझ सकती है। कौए ने अपनी चोंच को घड़े में डाल दिया। लेकिन पानी का स्तर कम था। इसलिए वह इसे पी नहीं सका। उसने चारों ओर देखा और जमीन पर कुछ कंकड़ देखे। एक चतुर विचार उसके मन में आया। कौए ने एक कंकड़ उठाया और इसे घड़े में गिरा दिया। पानी का स्तर थोड़ा- सा बढ़ गया। उसने एक-एक करके कई कंकड़ घड़े में गिरा दिए। जब तक कि पानी का स्तर काफी ऊपर तक नहीं आ गया। चतुर कौए ने अपनी प्यास बुझाई और खुशी से दूर उड़ता चला गया।
21. बोलती गुफा
घने जंगल की एक गुफा में एक सियार रहता था। हर सुबह यह भोजन की तलाश में बाहर निकलता था और शाम को वापस आता था । एक दिन एक बूढ़ा शेर गुफा में छिप गया। उसने सोचा- “कुछ पशु यहाँ रहते होंगे और वह वापस जरूर आएंगे तो मैं उन्हें खा जाऊँगा। जब शाम को सियार लौटा तो उसने बड़े पैरों के निशान गुफा में प्रवेश करते हुए देखे, लेकिन वह बाहर आते नहीं दिखे। यह चिंतित था कुछ समय सोचने के बाद वह चिल्लाया “प्रिय गुफा आज आप शांत और चुप क्यों हैं?” शेर ने सोचा, ” आह, यह गुफा बात भी करती है लेकिन आज मेरी उपस्थिति के कारण शांत है।” सियार चिल्लाया, “यदि आप हर रोज की तरह मेरा स्वागत नहीं करेंगी तो मैं हमेशा के लिए चला जाऊँगा।” शेर को डर था कि वह अपना भोजन खो सकता है। शेर ने हुंकार भरते हुए उसका स्वागत किया। चतुर सियार को गुफा में शेर के छुपे होने का विश्वास हो गया। वह भाग गया और अपने जीवन को बचा लिया।
22. चूहा और हाथी
एक बार, एक बर्बाद गाँव में चूहों की एक कॉलोनी बनी थी। हर रोज हाथियों का झुंड गाँव में झील का दौरा करने जाता था। उस रास्ते में हाथी अपने पैरों के नीचे सैकड़ों चूहों को कुचल देते थे। राजा चूहे ने राजा हाथी से मुलाकात की और कहा- “महोदय, कृपया अपना रास्ता बदल दें। हर बार जब आपका झुंड गाँव पार जाता है तो कई चूहों को मार दिया जाता है।” राजा हाथी सहमत हो गया। राजा चूहे ने कहा- “जब भी आपको हमारी सहायता की आवश्यकता होगी। हमें जरूर याद कीजिएगा।” हाथियों ने अगले ही दिन झील जाने के लिए अलग मार्ग लिया। एक दिन शिकारियों ने एक बार अपने जाल में कई हाथियों को फँसा लिया। राजा हाथी ने राजा चूहे को उनकी मदद करने के लिए अनुरोध किया। राजा चूहा और उसकी प्रजातियाँ हाथियों को बचाने के लिए जंगल से बाहर निकली। जाल को कुतरकर चूहों ने हाथियों को मुक्त कर दिया। हाथियों ने उनकी मदद के लिए चूहों को धन्यवाद दिया और हमेशा के लिए मित्र बन गए।
23. सियार और शेर
एक बार की बात है, एक भूखा सियार एक गहरे जंगल में शेर के लिए भोजन खोज रहा था। भोजन की खोज करते समय उसे एक पेड़ ने नीचे एक ड्रम दिखा। सियार ने सोचा कि ड्रम के अंदर कुछ जानवर फँसे हो सकते हैं। वह उन्हें खाना चाहता था। वह अपने पंजों के साथ इम को फाड़ना भी चाहता था। लेकिन वह इसे फाड़ नहीं सका और जोर-जोर से इम पे मारने लगा फिर उसने शेर, बन के राजा को बुलाया और उसे ड्रम दिखाया। सियार ने कहा- ” महामहिम, इस ड्रम के अंदर एक जानवर है। ड्रम के शीर्ष को फाड़ें और अपनी भूख को शांत करें।” शेर को भूख लगी थी उसने ड्रम को ऊपर से फाड़ दिया। लेकिन ड्रम के अंदर कुछ भी नहीं था। शेर को बहुत गुस्सा आया और उसने सियार को मार डाला। अपनी मूर्खता के लिए सियार को अपना जीवन खोना पड़ा।
24. चार ब्राह्मण
एक गाँव में चार ब्राह्मण मित्र रहते थे। गुरुकुल में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वे घर वापस जाने के लिए तैयार थे। उनका रास्ता बन के मध्य से होकर जाता था। थोड़ी दूरी पर चलने के बाद उन्होंने
जमीन पर हड्डियों का ढेर देखा। वे अपने ज्ञान का परीक्षण करना चाहते थे। पहले ब्राह्मण ने एक मंत्र को पढ़ा और हइंडियाँ को एक विशाल कंकाल में बदल दिया। दूसरे ब्राह्मण ने एक मंत्र का उच्चारण किया और कंकाल को एक शेर में बदल दिया। तीसरे ब्राह्मण ने कहा- “यह शेर बेजान है। मैं इसमें जीवन साँस दूंगा।” चौथे ब्राह्मण ने कहा- “प्रिय मित्र, शेर हमें मार डालेगा।” तीसरा ब्राह्मण हँसा, उसने कहा- “यह हमें कैसे मार सकता है? हम इसके निर्माता हैं।’ चौथा ब्राह्मण दुःखी था कि उसके दोस्तों को कोई सामान्य ज्ञान नहीं है। वह एक पेड़ पर चढ़ गया। तीसरे ब्राह्मण ने शेर में जीवन साँस डाली। शेर गर्जन के साथ उठा और उसने तीनों ब्राह्मणों को मार डाला।
25. किसान और उसका घोड़ा
एक समय एक गाँव में एक किसान रहता था। उसने अपने घोड़े से शेर की त्वचा लाने के लिए कहा। अपने स्वामी के शब्दों को सुनकर घोड़ा जंगल की गहराई में चला गया। वहाँ उसकी एक लोमड़ी से मुलाकात हुई। उसने लोमड़ी को अपनी दुर्दशा बताई और लोमड़ी ने उसे मदद करने की पेशकश की। उसने घोड़े से कहा- “शेर की गुफा के पास जाओ और मृत की तरह लेट जाओ।” फिर लोमड़ी ने शेर को बताया, आपकी गुफा के बाहर एक बड़ा घोड़ा पड़ा हुआ है। मैं घोड़े की पूँछ से आपके पैरों को बाँध दूँगी तो आप खींच सकते हैं। लोमड़ी ने शेर के पैरों को घोड़े की पूँछ के साथ बाँध दिया। लोमड़ी ने एक संकेत दिया और घोड़ा तेज गति से दौड़ने लगा। बेचारा शेर चट्टानों से टकरा टकराकर मर गया। घोड़ा अपने स्वामी के घर पर पहुँचा और उसने अपने स्वामी की इच्छा पूरी की।
26. किसान और उसका लालची बेटा
एक गरीब किसान था। कड़ी मेहनत के बावजूद भी उसके खेत बंजर थे। एक दिन एक पेड़ के नीचे आराम करते हुए उसने पेड़ के छेद में एक साँप देखा। उसने सोचा यह साँप क्षेत्र का संरक्षक होना चाहिए। अगर मैं उसकी सेवा करता हूँ तो मेरा क्षेत्र शायद उपजाऊ हो जाएगा। अगले दिन उसने दूध का एक कटोरा लेकर कहा “हे नाग देवता! कृपया मुझे आशीर्वाद दें।” – साँप ने दूध पी लिया और उसे सोने का सिक्का दिया। ऐसा हर रोज चलने लगा। एक दिन किसान शहर के लिए गया। उसने अपने बेटे से कहा- साँप को रोजाना दूध पिलाना। बेटे ने साँप को दूध पिलाया और साँप ने सोने का सिक्का छोड़ दिया। उसने सोचा, कल मैं साँप को मार दूंगा और सभी सोने के सिक्के ले लूँगा । अगले दिन साँप के लिए दूध के साथ वह छड़ी भी लाया। वह छड़ी के साथ साँप को मारना चाहता था। साँप निकला और उसने किसान के बेटे को वहीं डस लिया। किसान के बेटे को उसके लालच के लिए उसने दंडित किया।
27. ग्रामीण और शहरी चूहा
एक गाँव में एक चूहा रहता था। उसके दोस्त, शहर के चूहे ने गाँव का दौरा किया। शहर के चूहे को उबाऊ गाँव के जीवन से शिकायत थी। उसने कहा शहर में बड़े घर और खाने के लिए बहुत सी चीजें हैं। उसने वहाँ से प्रस्थान करने से पहले अपने ग्रामीण दोस्त को शहर में मिलने और अपने शानदार जीवन को दिखाने के लिए आमंत्रित किया। कुछ दिनों के बाद ग्रामीण चूहा अपने शहर के दोस्त से मिलने गया। जो व्यापारी के घर के रसोईघर में रहता था। वे सिर्फ खाने के लिए बैठे ही थे, तभी कुत्तों के भौंकने की आवाज सुनाई देती है और दोनों एक छेद में डर से भाग गए। गाँव के चूहे ने पूछा- वह क्या था? शहर के चूहे ने फुसफुसाकर कर कहा-ये मालिक का कुत्ता है। जब कुत्ता वहाँ से गया तब चूहों ने अपना खाना फिर से शुरू कर दिया। गाँव के चूहे ने कहा- क्या यह एक शानदार जीवन है? मैं अपने साधारण भोजन से खुश हूं और बिना किसी भय के शांतिपूर्ण जीवन जीता हूँ।
28. जरूरत में काम आने वाला ही सच्चा दोस्त होता है
एक जंगल में चार दोस्त रहते थे एक हिरण, एक चूहा, एक कछुआ और एक कौआ। वे हर रोज झील पर मिलते। एक दिन हिरण नहीं आया था, तब जंगल में कौआ उड़कर गया तो उसे एक शिकारी के जाल में फँसा हुआ हिरण मिला। वह वापस आया और अपने दोस्त के बारे में चूहे और कछुए को सूचित किया। चूहा उस जगह की ओर भाग गया और कछुए ने उसका पीछा किया। चूहे ने जाल को कुतर-कुतर कर हिरण को मुक्त किया। बस तभी शिकारी आ गया। उसने कछुए को देखा और उसे पकड़ लिया। अन्य तीन मित्रों ने उसे बचाने के लिए एक योजना के बारे में सोचा। शिकारी नदी के किनारे पर पहुँच गया था। तभी उसने अपने रास्ते में एक मृत हिरण देखा। उसने कछुए को नीचे रखा और हिरण के पास गया। बस तभी कछुआ और हिरण भाग निकले। वह चारों एक बार फिर साथ हो गए।
29. लालची मित्र
एक बार एक अमीर व्यापारी शहर में एक नया व्यापार शुरू करने के लिए चला गया। जाने से पहले उसने अपने मित्र से अनुरोध किया कि जब तक वह लौट न आए तब तक उसकी भारी लोहे की तराजू की डंडी का ध्यान रखे। उसके दोस्त ने उसे देखने का वादा किया। एक साल बाद जब व्यापारी फिर से अधिक धनवान होकर घर लौट आया । वह अपने मित्र से मिलने गया और उससे कहा कि वह अपनी तराजू की डंडी वापस लेने आया है। दोस्त जानता था कि उस लोहे की डंडी से उसे अच्छा पैसा मिलेगा इसलिए उसने व्यापारी को बताया कि उसने उसे अपने स्टोर के कमरे में रखा था और चूहों ने उसे खा लिया। व्यापारी ने कुछ भी नहीं कहा। उसने अपने मित्र से उसके बेटे को अपने साथ घर भेजने के लिए कहा ताकि वह उस उपहार को उसे सौंप सके जो उसने उसके लिए खरीदा था। मित्र ने सहमति व्यक्त की और उसके साथ अपने बेटे को भेजा। रात तक जब बेटा घर वापस नहीं आया तो दोस्त चिंताग्रस्त हो गया। वह व्यापारी के घर गया और अपने बेटे के बारे में पूछा। व्यापारी ने उत्तर दिया एक बड़ी चील उसे उठाकर ले गई। दोस्त ने व्यापारी की चाल को समझ लिया। उसने अपनी गलती का एहसास भी किया। उसने व्यापारी की लोहे की डंडी को लौटाकर अपने बेटे को उससे वापस ले लिया।
30. तीतर और खरगोश
एक बार एक पेड़ के नीचे तीतर रहता था। एक दिन भोजन की खोज करते समय उसे अनाज से भरा हुआ एक खेत मिला। वह वहाँ अनाज को तब तक खाता रहा जब तक उसका दिल नहीं भर गया और कुछ हफ्ते बाद लौट आया। जब तक वह लौटा तब तक एक खरगोश ने उसके घर पर कब्जा कर लिया था। तीतर ने उससे जाने के लिए कहा। खरगोश ने कहा यह घर हमेशा के लिए उसका हो गया। उनके बीच एक लम्बे समय तक बहस चली और अन्त में अपनी समस्या को हल करने के लिए उन्होंने बिल्ली के पास जाने का फैसला किया। तीतर और खरगोश को सुनने के बाद बिल्ली ने स्थिति का फायदा उठाया। उसने कहा मैं बूढ़ी हूँ और मैं आपको सही से सुन नहीं सकती। आप मेरे करीब आओ और मुझसे बात करो। जब वे पास आए तो बिल्ली ने उन पर हमला किया और उन्हें खा लिया।
31. शरारती बंदर
एक बार एक समय पर बंदरों का एक समूह जंगल में आराम कर रहा था। उन्होंने देखा कि एक लकड़ी काटने वाला एक कुल्हाड़ी के साथ एक पेड़ को काट रहा है। कुछ समय बाद लकड़हारा अपने दोपहर के भोजन के लिए गया। उसने वृक्ष के नीचे लकड़ी के टुकड़े पर अपनी कुल्हाड़ी फँसा दी। जल्द ही एक बंदर का बच्चा वहीं आया और कुल्हाड़ी उठाई। उसकी माँ चिल्लाती रही। यह एक तेज और खतरनाक उपकरण है इसे छूते नहीं है अन्यथा आपको चोट लग सकती है। लेकिन बंदर के बच्चे ने अपनी माँ की सलाह नहीं मानी। उसने कुल्हाड़ी ले ली और पेड़ पर चढ़ गया। उसने अपने दोस्तों को बुलाया और जिस शाखा पर वे बैठे थे उसे काटना शुरू कर दिया। बहुत जल्द यह शाखा गिर गई और इसके साथ सभी बंदर भी गिर गए। सबको चोट लगी और सभी दर्द में रोने लगे। बंदर के बच्चे को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने खुद सोचा कि अगर उसने अपनी माँ की सलाह का पालन किया होता तो ऐसा नहीं हुआ होता।
32. बुद्धिमान सियार
एक बार एक सियार को जंगल में एक मृत हाथी मिला। लेकिन वह हाथी की त्वचा को फाड़ नहीं सकता था और इसे खा भी नहीं सकता था। उसने शेर को बुलाया और कहा-“महामहिम, मैंने आपके लिए एक विशेष भोजन रखा है। कृपया इस हाथी पर आकर अपनी दावत करें।” शेर ने जवाब दिया- “मैं अन्य लोगों द्वारा मारे गए जानवरों को नहीं खाता।” सियार ने किसी और जानवर के आने का इंतजार किया जो हाथी की त्वचा को फाड़े जिससे वह बड़े भोजन का आनंद ले सके। जल्द ही सियार ने अपनी दिशा में एक तेंदुए को आता देखा। सियार ने कहा- “इस हाथी को राजा शेर ने मार दिया है। वे अपने परिवार को लाने के लिए चले गए हैं। आप हाथी को क्यों नहीं फाड़ते और स्वाद क्यों नहीं लेते हैं?” जल्द ही तेंदुए ने चतुर सियार की बातों में आकर हाथी की त्वचा को काट दिया तभी वह जोर- जोर से चिल्लाने लगा कि राजा शेर अपने परिवार के साथ आ रहे। हैं। तेंदुए ने जैसे ही यह सुना वह वहाँ से दूर भाग गया। सियार फिर कई दिनों तक हाथी को खाने का आनंद उठाता रहा।
33. बंदर और बढ़ई
एक बार जंगल में बंदरों का एक दल रहता था। वे पूरे दिन खेलने कूदने, खिसियाने और नई शरारत करने में व्यस्त रहते थे। एक दिन लकड़ी काटने के लिए दो बढ़ई वहाँ पहुँचे और उन्होंने यहाँ लकड़ी के कई लठ्ठे लिए। बंदर उनके कामों को देखकर बहुत ही अचंभित थे। उनके सभी काम बंदरों को एक खेल की तरह लग रहे थे। इस थकाऊ काम के बाद बढ़ई अपने भोजन के लिए गए। लकड़ी का लट्ठा केवल आधा फटा हुआ था, इसलिए उन्होंने लठ्ठे को बंद होने से रोकने के लिए बीच में एक खूँटी लगा दी। जैसे ही वह दूर चले गए बंदरों के बच्चे उस पर चढ़ गए और उन्होंने उपकरणों के साथ खेलना शुरू कर दिया। बंदरों में से एक ने आधे कटे लट्ठे को देखा। वह लठ्ठे के बीच में लगी खूंटी को देखने के लिए उत्सुक था। वह लठ्ठे पर बैठ गया और खूंटी को पकड़ लिया और उसने उसे खींचना शुरू कर दिया। अचानक, खूंटी बाहर आ गई और बंदर की पूँछ लठ्ठे के बीच में फँस गई।
34. पिस्सू और खटमल
एक बार एक राजा के विशाल सजावटी बिस्तर में एक पिस्सू रहता था। एक दिन एक खटमल गलती से राजा के खूबसूरती से सजाए गए बिस्तर में आ गया। जब पिस्सू ने खटमल को देखा तो उसने उसे चेतावनी दी “प्रिय खटमल, आपने गलत जगह चुनी है। इस जगह को छोड़ दें, इससे पहले कि कोई आपको देख ले।” खटमल ने उत्तर दिया- “प्रिय, अतिथि के स्वागत का यह उचित तरीका नहीं है। एक बार मैं राजा के खून का स्वाद तो ले लूँ, फिर मैं इस स्थान को छोड़ दूंगा।” पिस्सू ने कहा-“मैं राजा के खून को चूस लेता हूँ जब वह गहरी नींद में होता है। यदि आप राजा के सोने के बाद खून चूसने का वादा करते हैं तो आप भी शाही खून का स्वाद ले सकते हैं।” चूँकि खटमल काफी अधीर था। जैसे ही राजा सोने के लिए तैयार हुआ खटमल ने राजा का खून चूसने का प्रयास किया तभी राजा को थोड़ा-सा कुछ महसूस हुआ। राजा ने अपने नौकरों को बुलाया और उनसे कहा कि वह उस बिस्तर पर देखें कि इसमें क्या है। खटमल राजा के गद्दे के नीचे छिप गया। वहीं चादर के पट्टियों को खोजते समय उन्हें पिस्सू मिला और उसे उन्होंने मार दिया।
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FAQs
पंचतंत्र के लेखक कौन है?
पंचतंत्र की 5 कहानियो के नाम बताईये?
पंचतंत्र की 5 कहानिया इस प्रकार है- अजनबियों पर विश्वास मत करो, नीला भेड़िया, एकता में शक्ति, उल्लू और कौए की दुश्मनी, खरगोश और हाथी।
पंचतंत्र की कहानियां रचना मूलतः किस भाषा में की गई थी?
पंचतंत्र की कहानियां की रचना मूलतः संस्कृत भाषा में की गई थी।