Berojgari Essay In Hindi- बेरोजगारी एक ऐसी समस्या है जो हमारे समाज के लिए गंभीर परेशानी है। बेरोजगारी का मतलब है कि वे लोग जो काम करने के लिए तैयार हैं, वे नौकरी नहीं पा रहे हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जो न केवल व्यक्तिगत आर्थिक समस्याओं का कारण बन रही है बल्कि समाज के विकास को भी प्रभावित कर रही है।
इस लेख में हम Berojgari Essay In Hindi, बेरोजगारी पर शानदार निबंध लेखन करने वाले है तो अंत तक बने रहिएगा।
Berojgari Essay In Hindi (बेरोजगारी पर निबंध 1000 शब्दों में)
प्रस्तावना
लगभग दुनिया के सभी देशो में बढ़ती जनसँख्या ने बेरोजगारी को आज विस्फोटक स्तिथि में लाकर खड़ा कर दिया है। बेरोजगारी किसी भी देश के विकास में प्रमुख बाधाओं में से एक है जो प्रगति के मार्ग को तेजी से अवरुद्ध करती है।
बेरोजगारी का अर्थ
एक कुशल और प्रतिभाशाली व्यक्ति को कई कारणों से उचित नौकरी न मिलना ही बेरोजगारी है। अर्थात जब किसी व्यक्ति को अपनी जीविका के लिए कोई काम नहीं मिलता है, तो उसे बेरोजगारी कहते है और उसकी इस समस्या को बेरोजगारी कहते है।
बेरोजगारी के प्रकार
भारत में विभिन्न प्रकार की बेरोजगारी है-
(1)- छिपी बेरोजगारी
(2)- अल्प बेरोजगारी
(3)- खुली बेरोजगारी/ अनैच्छिक बेरोजगारी
(4)- ऐच्छिक बेरोजगारी
(5)- मौसमी बेरोजगारी
(6)- शिक्षित बेरोजगारी
(7)- चक्रीय बेरोजगारी
(1)- छिपी बेरोजगार- यह बेरोजगारी प्रत्यक्ष रूप से नहीं दिखाई देती है। इसीलिए इसे छिपी बेरोजगारी कहते है। यह बेरोजगारी कृषि छेत्र में दिखाई देती है। यहां आवश्यकता से अधिक लोग काम में लगे होते है। यदि उनमे से कुछ लोगो को दिया जाये, तब भी उत्पादन में कोई कमी नहीं होगी।
(2)- अल्प बेरोजगारी- जब किसी व्यक्ति को उसकी योग्यता से कम कार्य मिलता है अथवा जब कुछ ही समय के लिए काम मिलता है, तो उस स्तिथि को अल्प बेरोजगारी कहा जाता है। यदि किसी इंजीनियर को क्लर्क का काम दिया जायेगा, तो उसकी योग्यता का पूरा लाभ नहीं मिलेगा।
(3)- खुली बेरोजगारी/ अनैच्छिक बेरोजगार- जब कोई व्यक्ति काम करने को तैयार हो, लेकिन उसे काम न मिले, तो उस स्तिथि को पूर्ण या खुली बेरोजगारी कहते है। भारत में पूर्ण बेरोजगारी बहुत अधिक है। यहाँ करोड़ो की संख्या में बेरोजगार लोग है और इनकी संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है।
(4)- ऐच्छिक बेरोजगार- ऐसा व्यक्ति जो बाजार में प्रचलित मजदूरी दर पर काम करने को तैयार नहीं है अर्थात वह ज्यादा मजदूरी की मांग कर रहा है और ज्यादा मजदूरी मिल नहीं रही है इस कारण वह बेरोजगार है। ऐसी अवस्था ही ऐच्छिक बेरोजगारी कहलाती है।
(5)- मौसमी बेरोजगारी- जैसे फसल काटते समय मजदूरों को रख लिया जाता है। ऐसे ही भवन निर्माण के समय मजदूर रख लिए जाते है, बाद में वे बेरोजगार हो जाते है। अर्थात जब किसी व्यक्ति को वर्ष के कुछ ही महीनो के लिए काम मिलता है और शेष समय में वह बेकार रहता है, तो उस स्थिति को मौसमी बेरोजगारी कहते है।
(6)- शिक्षित बेरोजगार- शिक्षित बेरोजगारी शिक्षित या पढ़े लिखे लोगो में होती है क्योकि ये लोग शिक्षित नौकरी ही चाहते है। लेकिन नोकरिया की संख्या इतनी अधिक नहीं है की सभी को नौकरी दी जा सके। इस कारण भरी संख्या में शिक्षित लोग बेरोजगार है।
(7)- चक्रीय बेरोजगार- इस प्रकार की बेरोजगारी अर्थव्यवस्था में चक्रीय उतार-चढ़ाव के कारण पैदा होती है। जब अर्थव्यवस्था में समृद्धि का दौर होता है तो उत्पादन बढ़ता है रोजगार के नए अवसर पैदा होते है और जब मंडी का दौर आता है तो उत्पादन कम होने से कम लोगो की जरुरत होती है जिसके कारण बेरोजगारी बढ़ती है।
बेरोजगारी के कारण
जनसँख्या वृद्धि- तेजी से बढ़ती जनसँख्या बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में से एक है। देश की जनसँख्या जिस गति से बढ़ रही है, उस गति से उद्योग, नौकरिया और राष्ट्रीय आय में वृद्धि नहीं हो रही है। जिसके कारण बेरोजगारी बढ़ती जा रही है।
दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली- किसी भी देश की शिक्षा प्रणाली उस देश के सामाजिक, आर्थिक और राजनितिक स्तर पर अपना प्रभाव डालती है। बेरोजगारी की समस्या का एक प्रमुख कारण दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली है। दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली से मतलब शिक्षा का आभाव यानि अशिक्षा से है। यही कारण है की भारत में बेरोजगारी जैसे समस्याएं उत्पन्न हो रही है।
नए रोजगारो की कमी- कई तकनीकी समस्याओ और बढ़ती जनसँख्या के कारण रोजगार के अवसर नहीं बढ़ पा रहे है। अंत लोगो को पर्याप्त रूप से रोजगार उपलब्ध नहीं हो पाते है। क्योकि रोजगार बढ़ नहीं रहे है। इसीलिए रोजगारो की कमी हो रही है।
निर्धनता- निर्धनता किसी भी व्यक्ति के बेरोजगार होना एक प्रमुख कारण है। भारत में निर्धनता के कारण लोगो को उचित संसाधन उपलब्ध नहीं हो पाते है। इसके आलावा निर्धन व्यक्ति एक अच्छी शिक्षा से भी वंचित रह जाता है जिससे वह एक अच्छा रोजगार प्राप्त नहीं कर पाटा है और बेरोजगार रह जाता है।
कृषि छेत्र का पिछड़ापन- भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसकी सम्पूर्ण जनसँख्या कृषि पर निर्भर है। वर्तमान में जनसँख्या विस्फोट के कारण कृषि छेत्र काफी पिछड़ गया है।
मशीनीकरण- आजकल कार्यो को पूरा करने के लिए मशीनों का उपयोग किया जाने लगा है। पहले रोजगार के आधे से ज्यादा कार्य लोगो द्वारा पुरे किये जाते और बेरोजगार जैसी समस्या कम ही थी परन्तु वर्तमान में लगभग सभी कार्य मशीनों द्वारा ही किये जाते है। अत मशीनीकरण से कई लोगो का रोजगार छिन्न जाने के कारण देश में बेरोजगारी की समस्या में वृद्धि होने लगी है।
बेरोजगारी दूर करने के उपाय
बेरोजगारी को सम्पूर्ण रूप से दूर नहीं किया जा सकता। सही दिशा में कुछ प्रयाश करने से वो कम हो सकती है। सबसे पहले हमे जनसँख्या को काबू करना होगा। जनसँख्या काबू में करने के लिए हमें खुद से जागरूक होना पड़ेगा। सरकार को छोटे छोटे बिज़नेस को बढ़ावा देना होगा। इसके लिए कई निति नियम बनाने होंगे। यदि ज्यादा मात्रा में छोटे छोटे बिज़नेस को बढ़ावा दिया जाये तो युवाओ को ज्यादा नौकरिया मिलेंगी।
स्वरोजगार को सरकारी सहायता के साथ और अधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। भारत एक कृषि प्रधान देश है। सरकार को प्रत्येक छेत्र विशेष रूप से कृषि के सुधार पर ध्यान देना चाहिए। बेहतर सिंचाई सुविधाएं, बेहतर कृषि उपकरण, बहु फसल चक्रण और फसल प्रबंधन के बारे में ज्ञान के प्रसार पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
हमें अपनी पुराणी शिक्षा निति को बदलना पड़ेगा। व्यावसायिक तथा तकनीकी शिक्षा पर अधिक जोर देना होगा। भारत सरकार ने बेरोजगारी दर को कम करने के लिए कई कदम उठाये है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और राजीव गाँधी स्वावलम्बन रोजगार योजना जैसी योजनाए भारत में बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए सरकार द्वारा की गयी पहल है।
बेरोजगारी एक अभिशाप
बेरोजगारी हमारे देश के लिए अभिशाप बन गयी है। वो देश के युवा लोगो की मानसिक शांति छीन लेती है। देश के युवाओ को तनावग्रस्त जीवन जीने पर मजबूर कर देती है। बेरोजगारी के कारण देश के कई लोग निर्धनता और भुखमरी के शिकार हो जाते है।
युवाओ में बढ़ता आक्रोश चोरी, डकैती, हिंसा, अपराध और आत्महत्या जैसे अपराध करने पर मजबूर कर देता है। बेरोजगारी निराशा और असंतोष का कारण बनती है और विनाशकारी दिशाओ में युवाओ की ऊर्जा को नस्ट कर देता है। बेरोजगारी के कारण मानसिक स्तिथि से बचने के लिए लोग ड्रग्स और शराब की बुरी आदतों से ग्रस्त है।
उपसंहार
भारत में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है। भारत में शिक्षा का आभाव, रोजगार के लिए पर्याप्त उद्योगो की कमी, शासन की नाकामी जैसे कई कारणों से बेरोजगारी जन्म लेती है। आज बेरोजगारी की स्तिथि इतनी बढ़ चुकी है की अगर इस पर अंकुश न लगाया गया तो देश की आर्थिक, सामाजिक, भौतिक एवं राजनितिक दशा को हिला सकती है। यदि बेरोजगारी की बात भारत के परिपेक्ष में की जाये तो इसकी स्तिथि बहुत ही ख़राब है यदि इस स्तिथि में सुधार होता है तो निश्चित ही रूप से हमारा देश विकसित देशो की श्रेणी में आ सकता है। भारत सरकार बेरोजगारी को दूर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम भी उठा रही है। समय आ गया है की भारत के लोग सरकार के साथ मिलकर एकता के साथ इस समस्या का सामना करे।
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FAQs
क्या बेरोजगारी केवल आर्थिक समस्या है?
नहीं, बेरोजगारी आर्थिक, सामाजिक, और मानसिक समस्याओं का कारण बन सकती है।
क्या सरकार के पास बेरोजगारी के समाधान हैं?
हां, सरकार नौकरियों को प्रस्तुत करने के लिए कई योजनाएं चला रही है।
क्या उद्यमिता एक अच्छा समाधान है?
हां, उद्यमिता एक अच्छा समाधान हो सकता है क्योंकि यह लोगों को स्वयं रोजगार की अवसर प्रदान करता है
क्या शिक्षा का प्रसार बेरोजगारी को कम कर सकता है?
हां, शिक्षा का प्रसार लोगों के कौशल में सुधार कर सकता है और उन्हें बेहतर नौकरियों का मौका दिला सकता है।
कौशल विकास कार्यक्रम क्यों महत्वपूर्ण हैं?
कौशल विकास कार्यक्रम लोगों के कौशलों को सुधारने में मदद करते हैं और उन्हें नौकरी प्राप्त करने में सहायक हो सकते हैं।