गणेश जी की कहानी- हिंदी साहित्य और पौराणिक कथाओं का दीपक बने गणेश जी की कहानी हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विघ्नहर्ता, विद्या के प्रतीक, और संसार के संरक्षक के रूप में गणपति के नाम से भी जाने जाने वाले भगवान गणेश जी की कहानी हमें जीवन के महत्वपूर्ण सिख सिखाती है। इस लेख में, हम आपको विनायक जी की कहानी से के बारे में बताएंगे।
गणेश जी की कहानी (Ganesh Ji Ki Kahani)
एक समय की बात है। एक गांव में एक सेठ और सेठानी रहते थे। वह बहुत धार्मिक प्रवृति के थे। वो दोनों गणेश भगवन के अनंत भक्त और जरुरत मांडो की सेवा में हमेशा ततपर रहते थे।
उनका बहुत बड़ा परिवार था परन्तु उनकी कोई भी संतान न थी।
सारा परिवार उनसे बहुत प्यार करता था और कभी-कभी कानाफूसी भी करते रहते थे की सेठानी बाझ है। इस बात से दोनों बहुत दुखी रहते थे।
एक समय की बात है सेठ सेठानी गणेश भगवन के मंदिर में पूजा कर रहे थे पूजा करने के बाद वह मंदिर से बाहर आये की मंदिर की सीडी पर एक 4-5 साल का बच्चा बैठकर रो रहा है।
सेठ जी ने चारो तरफ देखा की बच्चे के माँ बाप कही आस पास तो नहीं है। परन्तु उन्हें कोई भी दिखाई नहीं दिया।
वह उस बच्चे को पुजारी के पास लेके गए और बोले बाबा यह बच्चा अकेला है। इसके माँ बाप कही दिखाई नहीं दे रहे।
शाम हुई तो पुजारी जी ने बोले सेठ जी आप इस बच्चे को घर ले जाईये। यदि इस बच्चे को कोई खोजता हुआ आये तो मैं उसे आपके घर भेज दूंगा।
सेठ सेठानी खुशी खुशी उस बच्चे को अपने घर ले आये।
जब कई महीनो तक उस बालक को कोई भी लेने नहीं आया तो सेठानी ने उस बच्चे को गोद लेने का मन बना लिया और गांव के सरपंचो की सलाह से गोद ले लिया।
उस बच्चे का नाम गणेश रख दिया। ऐसे ही कई वर्ष बीत गए।
एक दिन एक ठग पति पत्नी उस गांव में आये और गणेश भगवन के मंदिर के सीढ़ियों पर जा बैठे।
वह दोनों उस गांव के सबसे अमीर आदमी को ठगने की योजना बनाने लगे तभी पुजारी जी उन्हें सीढ़ियों पर बैठे देखा और पूछा क्यों भैया यहां किस कार्य से बैठे हो उन दोनों ने कोई भी जवाब नहीं दिय।
तब पुजारी जी ने कहा की आप का बच्चा खो गया था क्या?
दोनों ठग पति पत्नी एक स्वर में बोले “हाँ……. हाँ मेरा बच्चा खो गया है” पुजारी ने पूछा कितने समय की बात है वह दोनों अनजाने में बोले यही कोई 4-5 साल की बात है।
पुजारी बोले उदास मत होईये यही इस गांव में एक सेठ के घर में बच्चा है वही ठाठ बाठ से पल रहा है।
पुजारी जी उन दोनों को सेठ जी के घर ले गए तब सेठ सेठानी को पता चला की गणेश के असली माता-पिता आ गए है।
वो बहुत दुखी हो गए फूटफूट कर रोने लगे किसी तरह अपने को सँभालते हुए सेठ जी बोले ठीक है अभी तो बहुत रात हो गयी है कल सुबह होते ही गणेश को ले जाना।
ठग पति पत्नी तो यही चाहते थे। सेठ ने उन दोनों को अतिथि गृह में ठहरा दिया अब दोनों चोरी की योजना बनाने लगे इधर अपने से जुदा होने के गम से सेठ सेठानी को बता रहा था। जिसके कारन उन्हें नींद नहीं आ रही थी।
इधर ठग सभी कमरों की तालाशी लेने लगे तलाशी लेते हुए तिजोरी वाले कमरे में पहुंच गए आवाज सुनकर घर के नौकर की नींद खुल गयी
तब नौकर ने देखा दोनों अतिथि तिजोरी में कुछ खोज रहे है नौकर ने ये सब भाप लिया और बाहर से कमरे का दरवाजा बंद कर लिया
फिर जोर जोर से चिल्लाने लगा चोर चोर सभी सदस्य इकठ्ठे हो गए सेठ जी ने दरवाजा खोलकर देखा और कहा ये दोनों तो चोर है
हम इन्हे गणेश को नहीं देंगे ठगो को अपनी योजना विफल होते दिखी तो दोनों जिद पर अड़ गए और कहने लगे गणेश मेरा बेटा है सेठ जी बोले तुम दोनों चोर हो हम तुम्हे गणेश नहीं देंगे तब यह बात सरपंच तक पहुंच गयी
फिर सरपंच ने एक सर्त रख दी दोनों पक्षों को आमने सामने खड़ा किया अब दोनों माताओ को आदेश दिया आप दोनों सूर्य देव के सामने खड़े हो जाये यह किसके स्तन से गणेश के मुँह में दूध की धार जाएगी बच्चा उसी का माना जायेगा तब भगवन की कृपा से दूध सेठानी के स्तन से गणेश के मुँह में दूध की धार जाने लगी इस तरह गणेश भगवन की कृपा से गणेश सेठानी को वापस प्राप्त हो गया।
हे गणेश भगवान जैसे आपने सेठानी की गोद भरी वैसे ही अपने सभी भक्तो पर अपनी कृपा बनाये रखना, कहानी अधूरी हो तो पूरी करना, पूरी हो तो मान रखना उनके व्रत को पूर्ण करना।
प्रेम से बोलो गणेश भगवन की जय हो।
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गणेश जी की कहानी (Ganesh Ji Ki Kahani In Hindi)
एक गांव में माँ बेटी रहते थे एक दिन बेटी अपने माँ से कहने लगी की माँ-माँ गांव के सभी लोग गणेश मेला देखने जा रहे है मैं भी मेला देखने जाउंगी
तब माँ ने कहा मेले में तो बहुत भीड़ होगी तुम गिर जाओगी और तुम्हे चोट लग जाएगी परन्तु लड़की नहीं मानी और वह मेला देखने की जिद करने लगी
तब माँ ने कहा ठीक है पर ध्यान से जाना अब नाराज मत हो जब वह जाने लगी तब उसकी माँ ने उसे दो लड्डू दिए और एक घंटी में पानी दिया माँ बोली की एक लड्डू और थोड़ा पानी गणेश जी को दे देना और दूसरा लड्डू और बाकि बचा हुआ पानी तुम पी लेना
लड़की लड्डू और पानी लेकर मेले में चली गयी शाम होने पर गांव के सभी लोग वापस आ गए लेकिन लड़की वापस नहीं आयी
वह मेले में गणेश जी के मूर्ति के पास बैठ बही और कहने लगी एक लड्डू और पानी आपके लिए और दूसरा लड्डू और बाकि बचा हुआ पानी मेरे लिए अब आप जल्दी से अपना लड्डू खा लो और पानी पी लो ताकि मैं भी अपना लड्डू और बाकि बचा हुआ पानी पी सकू
इस तरह कहते कहते पूरी रात बीत गयी गणेश भगवान सोचने लगे अगर मैंने ये एक लड्डू नहीं खाया और पानी नहीं पिया तो यह लड़की अपने घर नहीं जाएगी इसलिए गणेश भगवान एक छोटे से लड़के रूप में आ गए और उन्होंने उस लड़की से एक लड्डू लिया और खाने लगे और साथ ही थोड़ा सा पानी भी पी लिया।
फिर वह कहने लगे तुम्हे हो चाहिए वो तुम मांग लो लड़की सोचने लगी की क्या मांगू अन्न मांगू, धन मांगू , खेत मांगू, या महल मांगू मुझे तो कुछ समज में ही नहीं आ रहा है. वह सोच ही रही थी की गणेश भगवान उसकी मन की बात को जान लेते है और उन्होंने लड़की से कहा तुम अपने घर जाओ और जो भी तुमने अपने मन में सोचा है वह सब तुम्हे मिल जायेगा
फिर वह लड़की घर चली गयी जब वह घर पहुंची तो माँ ने पूछा इतनी देर कहा खो गयी लड़की बोली आपने जैसा कहा था मैंने वैसा ही किया मैंने एक लड्डू और थोड़ा सा पानी गणेश भगवान को पिलाया और एक लड्डू और बाकि बचा हुआ पानी मैंने पिया उसका इतना कहते ही लड़की ने जो सोचा था वह सब उसे मिल गया।
हे गणेश भगवान जैसे आपने उस लड़की और उसकी माँ पर कृपा की वैसे ही सब पर कृपा करना, कथा अधूरी हो तो पूरी करना, पूरी हो तो मान रखना उनके व्रत को पूर्ण करना।
प्रेम से बोलो गणेश भगवन की जय हो।
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गणेश जी की छोटी सी कहानी (Bindayak Ji Ki Choti Si Kahani)
एक बार गणेश जी ने भगवन शिव से कहा पिताजी आप यह पिताभस्म लगाकर मुंडमाला धारण करके अच्छे नहीं लगते मेरी माता गोरी पूर्ण सुंदरी है और आप उनके साथ इस भयंकर रूप में रहते है
पिताजी आप एक बार कृपा करके हमें अपने सुन्दर रूप पर दर्शन कराईये और अपने सुन्दर रूप में माता के सामने आये आपका वो रूप हम सभी देखना चाहते है।
भगवन शिव ने गणेश जी की बात मान ली और कुछ समय बाद जब शिव जी स्नान करके आये तो उनके शरीर पर कोई भस्म नहीं थी बिखरी हुई जटाये भी अच्छे से सवरी हुए थी मुंड माला भी नहीं थी सभी देवता यश , गन्धर्व, शिवगण ने बिना पालक झपकाए देखते रह गए
वो एक ऐसा रूप था की मोहिनी अवतार भी फीका पड़ जाये भगवान शिव ने अपना यह रूप कभी भी प्रकट नहीं किया था शिव जी का ऐसा अतुलनीय रूप की करोड़ो कामदेवों को भी सर्मिन्दा होना पड़े
गणेश जी की अपने पिता के इस मनमोहक छवि को देखकर स्तब्ध रह गए और मस्तक झुककर बोले मुझे क्षमा करे पिताजी परन्तु अब आप अपने पूर्व स्वरुप में वापस आजाये भगवान शिव ने कहा क्यों पुत्र अभी तो तुमने मुझे इस रूप में देखने की इच्छा प्रकट की थी अब पुनः पूर्व स्वारूप में में आने की बात क्यों कर रहे हो
गणेश जी ने अपना मस्तक झुककर कहा क्षमा करे पिताजी पर मेरी माता से सुन्दर कोई और दिखे ऐसा में कदापि नहीं चाहूंगा और शिव जी मुस्कुराते हुए अपने पुराने स्वरुप में लोट आये
कई संत महात्माओ ने अपने अनुभव से कहा है की कपूर गोरम शंकर तो भगवान श्री राम से भी सुन्दर है पर वह अपना निज स्वरुप कभी भी प्रकट नहीं करते क्योकि इससे उनके पिरयतम आराध्य श्री राम की सुंदरता के यश की प्रशंशा कम हो।
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गणेश जी की कहानी खीर वाली (Ganesh Ji Ki Kahani Kheer Wali)
एक समय की बात है गणेश जी महाराज ने पृथ्वी पर मनुष्यो की परीक्षा लेने का विचार किया। पृथ्वी भ्रमण के लिए गणेश जी ने एक बालक का रूप बनाया और अपने एक हाथ में चमच में दूध लिया और दूसरे हाथ में एक चुटकी चावल ले लिए और गली गली घूमने लगे
साथ ही साथ आवाज लगते जा रहे थे “कोई इन चावल और दूध से मेरी खीर बना दो”, “कोई इन चावल और दूध से मेरी खीर बना दो”!
गांव में उन पर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा था और सभी हस रहे थे तभी एक व्यक्ति ने बोला “नासमझ बालक चम्मच भर दूध और एक चुटकी चावल से भला खीर भी बन सकती है?”
ऐसे ही गणेश जी एक गांव से दूसरे गांव घूमते रहे लेकिन कोई भी उनकी खीर बनाने को तैयार नहीं था ऐसे ही सुबह से शाम हो गयी कोई “कोई इन चावल और दूध से मेरी खीर बना दो”, “कोई इन चावल और दूध से मेरी खीर बना दो”!
अब गणेश जी ने सोचा कोई भी मेरी खीर नहीं बना रहा अब मैं क्या करू?
तभी वहा एक बुढ़िया अपनी झोपडी के बाहर बैठी थी वो गणेश जी को देखकर “बोली बेटा ला तेरी खीर का सामान मुझे देदे मैं तेरी खीर बनाती हु।”
गणेश जी बोले- माई तुम्हारे घर में जो सबसे बड़ा बर्तन हो वो खीर बनाने के लिए ले आओ
बूढ़ी अम्मा ने सोचा बच्चे का मन रखने के लिए सबसे बड़ा बर्तन ले आती हु। बुढ़िया माई घर का सबसे बड़ा बर्तन लेके आ गयी
गणेश जी ने चम्मच से दूध और चुटकी से चावल डालना शुरू किया तब बुढ़िया माई की आश्चर्य की कोई भी सीमा न थी।
बुढ़िया माई ने कहा- ये क्या चमत्कार है कुछ समझ नहीं आ रहा?
देखते ही देखते पतीला पूरा दूध से भर गया। बुढ़िया माई ने उस पतीले को चूल्हे में रखा और खीर बनाना शुरू किया।
गणेश जी बोले- माई तुम खीर बनाओ मैं स्नान करके आता हु मैं वापस आकर खीर खा लूंगा।
बूढ़ी माई बोली बेटा इतनी ढेर सारी खीर का मैं क्या करुँगी तब बालक गणेश बोले माई तुम सारे गांव को खीर खाने का न्योता दे दो बूढ़ी माई बोली ठीक है मैं पुरे गांव को बोल देती हु।
बूढ़ी माई की खीर की खुशबू धीरे धीरे पुरे गांव में फैलने लगी बूढ़ी अम्मा ने घर घर जाकर सबको खीर खाने का न्योता दे दिया और बोली आज मेरे घर खीर का प्रसाद बट रहा है आप चखने आना पडोसनी बोली अम्मा इतने लोगो को खीर कहा से खिलाओगी?
लोग उस पर हसने लगे बुढ़िया के घर में खाने को दो दाना नहीं है और सारे गांव को खीर खिलाने की बात कर रही है
चलो चलते है बूढ़ी माई कौन सी खीर खिलाने वाली है धीरे धीरे लोग बूढ़ी माई के घर आने लगे देखते ही देखते गांव इकठा हो गया जब बूढ़ी माई की बहु को इस दावत के बारे में पता चली तो वो रसोई में पहुंची और खीर से भरा पतीला देख कर उसके मुँह में पानी आ गया और वो सोचने लगी इस पतीले की खीर सारे गांव में बाटी तो मेरे लिए कुछ भी नहीं बचेगा ऐसा सोच कर उस बूढ़ी अम्मा की बहु ने एक कटोरी में खीर निकाली और दरवाजे के पीछे बैठकर खीर खाने की तैयारी करने लगी और बोली गणपति जी भोग स्वीकार करे ऐसा कहकर वो खीर खाने लग।
बूढ़ी अम्मा के बहु के लगाए इस भोग से गणेश जी प्रसन्न हो गए जब बाल गणेश स्नान करके वापस आये तो बूढ़ी अम्मा बोली बेटा तुम स्नान करके आ गए आओ बैठो तुम्हे खीर परोस दू गणेश जी बोले माई मेरा पेट तो खीर से भर गया अब तुम खीर खा लो अपने परिवार को खिलाओ और सारे गांव को खीर खिलाओ और बूढ़ी अम्मा पूछने लगी बेटा तुमने ये खीर कब खायी?
गणेश जी महाराज बोले जब तुम्हारी बहु ने दरवाजे के पीछे बैठ कर मुझे भोग लगाया तब मैंने खीर खा ली तब बूढ़ी अम्मा समझ गयी की ये जरूर भगवान गणेश जी महाराज है वो हाथ जोड़कर उनके आगे खड़ी हो गयी गणेश जी महाराज बोले बूढ़ी माई तुम भी खीर खाओ अपने परिवार को खिलाओ और पुरे गांव को खीर खिलाओ उसके बाद बची हुई खीर को 4 पतिलो में रखकर अपने घर के 4 कोनो में रख देना।
अब बुढ़ी माई ने पुरे गांव को खीर खिलाई और बचे हुए खीर को 4 पतिलो में अपने घर के चारो कोनो में रख दिया और सो गयी जब वह सुबह उठी तो उसकी आश्चर्य की कोई सीमा न थी।
अम्मा बोली -हे गजानंद भगवान् ये मैं क्या देख रही हु पतिलो में खीर के स्थान पर हीरे, मोती और जवाहरात भरे है हे विघ्नहर्ता आपने मुझ पर बड़ी कृपा करी है बूढी माई को अपने दयालुता का फल प्राप्त हुआ उसकी सारि दरिद्रता दूर हो गयी।
Tha Contant Based on “गणेश जी की कहानी (Bindayak Ji Ki Kahani)”
गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेव।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेव।
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी।
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी।
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी।
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा।
पान चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा।
अंधे को आँख दिखाये, रौड़े को सहारा।
बाट चले, सूजी लहे, बाकरी को आरा।
अंधे को आँख दिखाये, रौड़े को सहारा।
बाट चले, सूजी लहे, बाकरी को आरा।
लक्ष्मी जी को देना, गणेश जी का प्रसाद।
भूले चूके जो कोई, उसकी है यह सजा।
लक्ष्मी जी को देना, गणेश जी का प्रसाद।
भूले चूके जो कोई, उसकी है यह सजा।
गणेश जी की आरती करो, जै गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेव।
गणेश जी की आरती करो, जै गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेव।
यह आरती गणेश चतुर्थी और अन्य गणेश जी की पूजा के समय पढ़ी जाती है और गणेश जी के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए की जाती है।
उम्मीद करता हु दोस्तों आपको गणेश जी की कहानी लेख बहुत पसंद आया होगा। अगर इस कहानी मैं कुछ भी त्रुटि हो तो मुझे क्षमा कीजियेगा। इस लेख को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर कीजियेगा धन्यवाद।
“बोलो गणेश जी महाराज की जय”
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